Book Title: Sahajanandghan Guru Gatha
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Jina Bharati

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Page 157
________________ • श्री सहजानंदघन गुरूगाथा • परिशिष्ट-४ ॥ ॐ नमः ॥ गुरुकृपा के सजन श्री वर्धमान भारती अपने ४१ वर्ष के सर्वप्रथम जैन रिकार्डों और परवर्ती जैन विद्या प्रकाशनों की श्रृंखला में नित्यनूतन कड़ियाँ जोड़ती जा रही है। ये हैं पूर्व के कुछ महत्त्वपूर्ण प्रमुख रिकार्ड-सी.डी. कैसेट : श्री भक्तामर स्तोत्र, श्री कल्याणमंदिर स्तोत्र, श्री ऋषिमंडल स्तोत्र, श्री परमानंद स्तोत्र, श्री परमात्म स्तोत्र, श्री आत्मसिद्धि शास्त्र, अपूर्व अवसर, परमगुरु पद, राजपद, आनंदघन पद, महावीर दर्शन, वीरवंदना, जिनवंदना, जिनेश्वर आरती, दादागुरु दर्शन, सुमेरु वंदना, सोनागिर की यात्रा और दशलक्षणव्रत कथा, रत्नत्रय व्रतकथा, श्री कल्पसूत्र प्रवचन मंजुषा (४ सी.डी. सेट), दर्शलक्षण धर्म (१० सी.डी. सेट), मेरी भावना-अनुभव वाणी, प्रार्थना मंदिर, प्रभात मंगल, राजुल-चंदनबाला, रत्नाकर पच्चीसी, धून-ध्यान (नवकार) ध्यानसंगीत (Music for Meditation) आसरा, आत्मखोज इत्यादि शताधिक कृतियाँ । और ये है अब के नतन निर्माण : श्री गिरनारजी सिध्धक्षेत्र. भक्ति कर्तव्य. भक्ति झरणां, परमगुरु प्रवचन ( २३ सी.डी. सेट) सद्गुरु बोध, ध्यानसंगीत (गुजराती), 'आनंदलोके - आत्मानुभूति की अंतर्यात्रा, इन के अतिरिक्त और भी हैं वर्तमान में निर्माणाधीन आगामी आरक्षणार्थ कृतियाँ : बाहुबली दर्शन, आत्मबली बाहुबली, 'अहिंसक युद्ध : बाहुबलीजी से राजचन्द्रजी और गांधीजी तक; सद्गुरू बोध + “खोज जन्मांतर पार की ।" : "THE QUEST BEYOND BIRTHS AND DEATHS," इत्यादि । ___ उपर्युक्त रिकार्ड-संगीत निर्माणों के उपरान्त महत्त्व के साहित्यिक-दार्शनिक प्रकाशन हैं - "सप्तभाषी आत्मसिद्धि" (७ भाषाओं का ग्रंथ), महावीर दर्शन, महासैनिक-दक्षिणापथ की साधनायात्रा ई., The Great Wamor of Ahimsa, Meditation of Jainism, Why Abattoirsabolution ? इन प्रकाशनादि के सिवा वर्षों के चिंतन एवं परिकल्पना से आयोजित एवं प्रयोगभूत जैनविद्या (Jainology) की शिक्षाप्रदान एवं “आर्हत् प्रभावक" तैयार करने की चल रही तालीम-प्रवृत्ति को विकसित करने एवं सद्गुरु-सूचित 'स्वाध्याय-भक्ति-ध्यान' आधारित प्रायोगिक आत्मज्ञान-लक्षी जैन विश्वविद्यालय 'सहजानंद पीठ' इस यो.यु. सहजानंदघन जन्मशताब्दी वर्ष में स्थापित करने जैनसमाज से अपील है कि इन्हें प्रायोजित (Sponsor) कर एवं नूतन छात्र-छात्राओं को तालीम हेतु भेजकर अपना सहयोग प्रदान करें। सम्पर्क : प्रा. प्रतापकुमार टोलिया, जिनभारती, वर्धमान भारती इन्टरनैशनल फाउन्डेशन, प्रभात कॉम्पलेक्स, के.जी. रोड़, बेंगलोर-९ (M : 09611231580) ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ (137)

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