Book Title: Rushibhashit Sutra
Author(s): Vinaysagar, Sagarmal Jain, Kalanath Shastri, Dineshchandra Sharma
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 13
________________ हिन्दी एवं अंग्रेजी अनुवाद संयुक्त रूप से प्रकाशित नहीं हुए थे। मूल के साथ दोनों भाषाओं के अनुवाद एक साथ प्राकृत भारती से प्रकाशित हों, यह हमारी प्रबल उत्कण्ठा थी। इसी उत्कण्ठा ने इसे मूर्त रूप प्रदान किया। फलतः प्राकृत भारती के निदेशक ने इसका मूलानुगामी हिन्दी अनुवाद किया। और, हमारे अनुरोध को स्वीकार कर, श्री कलानाथ शास्त्री, निदेशक, भाषा विभाग, राजस्थान सरकार, जयपुर ने एवं श्री दिनेश चन्द्र शर्मा अपर सम्भागीय आयुक्त, उदयपुर ने संयुक्त रूप से अपनी वैदुष्यपूर्ण परिष्कृत शैली में इसका अंग्रेजी भाषा में अनुवाद किया। ये दोनों अपने-अपने विषयों के प्रकाण्ड एवं प्रतिष्ठित विद्वान् हैं और वर्तमान में राज्य सेवा में उच्च पदों पर आसीन हैं। हम इन दोनों प्राज्ञों के हृदय से आभारी हैं। डॉ. सागरमल जी जैन, निदेशक, पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान, वाराणसी के भी आभारी हैं, जिन्होंने कि हमारे अनुरोध को स्वीकार कर हिन्दी भाषा में 'ऋषिभाषित : एक अध्ययन' शीर्षक से विस्तृत प्रस्तावना लिख भेजी। इसमें विद्वान् लेखक ने अपनी परिमार्जित शैली में ऋषिभाषित के प्रत्येक पक्ष पर सांगोपांग प्रकाश डाला है। डॉ. सागरमल जी दर्शनशास्त्र के विद्वान तो हैं ही साथ ही जैनागम एवं साहित्य के भी साक्षर विद्वान् हैं। इनका शोध प्रबन्ध 'जैन, बौद्ध और गीता के आचार-दर्शनों का तुलनात्मक अध्ययन' दो भागों में प्राकृत भारती ने सन् 1982 में प्रकाशित किया। इस पुस्तक पर उन्हें सन् 1987 का 'प्रदीप कुमार रामपुरिया स्मृति साहित्य पुरस्कार' भी प्राप्त हो चुका है। इस प्रस्तावना का हिन्दी से अंग्रेजी भाषा में अनुवाद श्री सुरेन्द्र बोथरा, जयपुर ने किया है, अतः ये भी धन्यवाद के पात्र हैं। इनकी 'अहिंसा' नाम से अंग्रेजी भाषा में पुस्तक इसी वर्ष प्राकृत भारती से प्रकाशित हो चुकी है। हमें हार्दिक प्रसन्नता है कि राजस्थान सरकार के कला एवं संस्कृति-शिक्षा विभाग ने भी इस ग्रन्थ के प्रकाशन में आर्थिक अनुदान प्रदान कर महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है, अतः हम कला एवं संस्कृति विभाग अधिकारिगण के प्रति भी हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं। पारसमल भंसाली म. विनयसागर देवेन्द्रराज मेहता अध्यक्ष, निदेशक, सचिव, नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ प्राकृत भारती अकादमी प्राकृत भारती अकादमी मेवानगर जयपुर जयपुर 12 इसिभासियाई सुत्ताई

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