Book Title: Ratnamala
Author(s): Shivkoti Acharya, Suvidhimati Mata, Suyogmati Mata
Publisher: Bharatkumar Indarchand Papdiwal

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Page 105
________________ पुष्प क्र. - २० रत्नमालात 3. - 97TE २. जीवन्धर कुमार ने मरते हुए कुत्ते को णमोकार मन्त्र सुनाया, जिस के प्रभाव से || || उस कुत्ते के जीव ने स्वर्ग की विभूति पाई। __३. एक मरणासन्न बकरे को देख कर श्रेष्ठीवर चारूदत्त ने उसे णमोकार मन्त्र सुनाया फलतः वह स्वर्ग में देव हुआ। ५. अर्धमृत बन्दर को एक मुनिराज ने णमोकार मन्त्र सुनाया| बन्दर ने भक्तिपूर्वक मन्त्र का प्रवण किया, जिससे मर कर वह चित्रांगद नामक देव हआ। ५. घायल बैल को पीड़ा से छटपटाते हुए देखकर दयाशाली पद्मरूचि सेठ उसे | णमोकार मन्त्र सुनाया । आगे चलकर वह पद्मरुचि सेठ तो रामचन्द्र हुआ। बैल का जीव सुग्रीव जैसा शुरवीर राजा तुम ६. कीचड़ में एक हथिनी फँस गयी थी। उस का प्राणान्त सन्निकट है ऐसा देख कर सुरंग नाम के विद्याधर ने उसे णमोकार मन्त्र सुनाया। णमोकार मन्त्र के श्रवण करने से वह कुछ भवों में सुख पाती हुई, सीता जैसी महासती हुई। ___ मनुष्यों में भी सुदर्शन का पूर्व भव, सूर्य, दृढ़ चोर, अर्हद्दास का छोटा भाई, अंजन चोर, राणी प्रभावती, अनन्तमती तथा और भी अनेक जीवों ने इस मन्त्र के प्रभाव से अपना उध्दार किया। __ इन सारी कथाओं से णमोकार मन्त्र का अधमोध्दारकत्व तथा विघ्नविनाशकत्व स्वयं सिद्ध हो जाता है। णमोकार मन्त्र का फल बताते हुए पण्डित प्रवर मेघावी ने लिखा है कि - भव्यः पञ्चपदं मन्त्रं सर्वावस्थासु संस्मरन् । अनेकजन्मजैः पापै निःसन्देहं विमुच्यते।। (धर्मसंग्रह प्रावकाचार - ७/१२१) अर्थ : जो धर्मात्मा भव्य पुरुष सभी अवस्थाओं में सदा पंच महामन्त्र पदों का चिन्तवन करते रहते हैं, वे भव्यात्मा निःसन्देह अनेक जन्म में उपार्जन किये हुए पाप कर्मों से विमुक्त हो जाते है। ऐसे पवित्र मन्त्र का स्मरण अहर्निश किया जाना चाहिये। ग्रंथकार श्री शिवकोटि कहते हैं कि जो भव्य रात्रि में णमोकार मन्त्र का स्मरण कर सोता है, उसे स्वप्न में आगे होने वाले शुभ और अशुभ फल ज्ञात हो जाते हैं। णमोकार मन्त्र कषायों को मन्द्र करता है. विषयों से मन को विमुख करता है, मन को | एकाग्र करता है. अतः णमोकार से अनन्त पापों का क्षय तथा प्रचुर पुण्य का बंध होता सुविधि शाम चठिद्रका प्रकाशन संस्था, औरंगाबाद. Pan

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