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राष्टा रा.. -२०
रत्नमाला
गप्ठ हा.-102
नन्दीश्वर - क्रिया नन्दीश्वरे दिने सिध्द - नन्दीश्वर गुरुचिता ।
गान्ति शक्ति . मा दमि · गुमा सलिल | ५६. अन्वयार्थ : नन्दीश्वरे नन्दीश्वर के | ज्ञातव्य है कि दिने दिन में श्रावकाचार संग्रह में नन्दीश्वरे के सिद्ध सिध्द स्थानपर नन्दीश्वर छपा हुआ है। नन्दीश्वर नन्दीश्वर गुरुचिता पंचगुरु शान्तिभक्तिः शान्तिभक्ति (को)
नैवेद्य पुष्प पुष्प (से) समन्वितः युक्त प्रकर्त्तव्या करनी चाहिये।
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अर्थ : नन्दीश्वर पर्व के दिनों में सिध्द, नन्दीश्वर, पंचगुरु और शान्तिभक्ति को नैवेद्य तथा पुष्प सहित करना चाहिये।
भावार्थ : आषाढ़, कार्तिक और फाल्गुण मास के शुक्लपक्षीय अष्टमी से पोर्णिमा तक अर्थात् आठ दिवस पर्यन्त देवगण नन्दीश्वर द्वीप में जा कर जिनेन्द्र प्रभु की अर्चना करते हैं। उन्हीं दिनों को अष्टालिका पर्व अथवा नन्दीश्वर पर्व कहते हैं। इन दिनों में ! सिद्ध-नन्दीश्वर, पंचगुरु और शान्तिभक्ति करनी चाहिये। गृहस्थ को यह भक्तियाँ नैवेद्य | तथा पुष्प के साथ करनी चाहिये।
चामुण्डाय ने लिखा है कि - नन्दीश्वर दिने सिद्ध नन्दीश्वर पंचगुरु शान्तिभक्तयः। (चारित्रसार)
अर्थात : नन्दीश्वर पर्व के दिनों में सिध्द - नन्दीश्वर, पंचगुरु और शान्ति भक्ति करनी चाहिये।
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सुविधि शाल चन्द्रिका प्रकाशन संस्था, औरंगाबाद.