Book Title: Ratnamala
Author(s): Shivkoti Acharya, Suvidhimati Mata, Suyogmati Mata
Publisher: Bharatkumar Indarchand Papdiwal

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Page 131
________________ २० रत्नमाला ३. जिस नें मंगल की चरम सीमा प्राप्त कर ली है। ४. जिस ने मोक्ष की प्राप्ति कर ली है। ५. जो सफलता की पराकाष्ठा तक पहुँका है। पृष्ठ 123 साथ में ग्रंथकार ने पढ़नेवाले की पात्रता तथा ग्रंथ पढ़ने की विधि लिखी है। पढ़नेवाला श्रीमान् हो अर्थात् सम्मानित कीर्तिशाली हो तथा वह शुद्ध भावना से युक्त हो कर ग्रंथ पढ़े। सुविधि ज्ञान पत्रिका प्रकाशन संस्था, औरंगाबाद.

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