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रत्नमाला
३. जिस नें मंगल की चरम सीमा प्राप्त कर ली है।
४. जिस ने मोक्ष की प्राप्ति कर ली है।
५. जो सफलता की पराकाष्ठा तक पहुँका है।
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साथ में ग्रंथकार ने पढ़नेवाले की पात्रता तथा ग्रंथ पढ़ने की विधि लिखी है। पढ़नेवाला श्रीमान् हो अर्थात् सम्मानित कीर्तिशाली हो तथा वह शुद्ध भावना से युक्त हो कर ग्रंथ पढ़े।
सुविधि ज्ञान पत्रिका प्रकाशन संस्था, औरंगाबाद.