SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 132
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ in .. -२० रत्नमाला नका. -124 .. - २05 रत्नमालाला - 124 (परिशिष्ट - १) कौन कौन सी भक्ति कहाँ कहाँ करनी चाहिये इसका स्पष्ट विवरण कार्य भक्ति जिन प्रतिमावंदन चैत्यभक्ति, पंचगुरुभक्ति, लघु आचार्य वंदना (गवासन से) सिध्द भक्ति, लघु आचार्यभक्ति सिद्धांतवेत्ता आचार्य की वंदना सिद्धभक्ति, श्रुतभक्ति. आचार्य भक्ति साधारण मुनियों की वंदना सिद्धभक्ति सिद्धांतवेत्ता मुनियों की वंदना सिद्धभक्ति. श्रुतभक्ति स्वाध्याय का प्रारम्भ ल्पायुत भक्ति . आचार्य भक्ति स्वाध्याय की समाप्ति लघु श्रुत भक्ति आचार्य की अनुपस्थिति में पहले दिन उपवास वा प्रत्याख्यान ग्रहण किया हो तो दूसरे दिन आहार के समय सिद्ध भक्ति पढ़कर उसका त्याग वा आहार के लिये गमन आहार की समाप्ति पर अगले दिन के उपवास वा प्रत्याख्यान का ग्रहण करने में सिद्धभक्ति आचार्य की उपस्थिति में आहार के लिये जाने के पहले लघु योगिभक्ति, लघु सिध्दभक्ति लघु योगिभक्ति, लघु सिद्धभक्ति आहार के अनंतर प्रत्याख्यान वा । उपवास की प्रतिज्ञा के लिये आचार्य वंदना लघु आचार्य भक्ति सुविधि ज्ञान पत्रिका प्रकाशन संस्था, औरंगाबाद.
SR No.090399
Book TitleRatnamala
Original Sutra AuthorShivkoti Acharya
AuthorSuvidhimati Mata, Suyogmati Mata
PublisherBharatkumar Indarchand Papdiwal
Publication Year
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy