Book Title: Ratnamala
Author(s): Shivkoti Acharya, Suvidhimati Mata, Suyogmati Mata
Publisher: Bharatkumar Indarchand Papdiwal

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Page 139
________________ हात.. -२० रत्नमाला का - २०० रत्नमालामा पृष्ठ वा. -131 तः - 13101 परिशिष्ट -३ पाठभेद हमें मूल हस्तलिखित प्रति तो प्राप्त हुई नहीं। जिन दो प्रतियों का प्रयोग कर के हम ने टीका की है, वे हैं - १. श्रावकाचार संग्रह - भाग ३ पृष्ट ४१० (प्रति अ) २. रत्नमाला अजमेर से प्रकाशित (प्रति ब) इन दोनों में कुछ श्लोक में अन्तर है। यहाँ हम श्लोक का प्रथमपाद दे रहे हैं तथा साथ || | में दोनों प्रति को क्रम से अ व ब कहकर उसमें उल्लिखित श्लोक क्रमांक दे रहे हैं। हमें ब प्रति का क्रम विषयों के अनुरूप प्रतीत होने से ग्रंथ-टीका के समय हमने वही क्रम रखा है। श्लोक प्रति अ प्रति ब १. सर्वज्ञं सर्ववागीशं सारं यत्सर्वसारेषु सदावदात महिमा स्वामी समन्तभद्रो मे वर्धमान जिनभावाद् सम्यक्त्वं सर्वजन्तूनां निर्विकल्पश्चिदानन्दः दिगम्बरो निरारम्भो अमीषा पुण्यहेतूनां विरत्या संयमेनापि अबदायुष्क पक्षे तु १२. महाव्रताणुनतयो संवेगादि परः शान्त अणुव्रतानि पञ्चैव हिंसातोऽसत्यतश्चौर्यात् गुणततानामाचं स्याद भोगोपभोग संख्यानं मारणान्तिक सल्लेख्य मद्य-मांस-मधु त्याग वस्त्रपूतं जलं पेयं २१. मुहूर्तं गालितं तोयं २१ * 55 Gor - mss 9 - r739 ११ FFF १२ १३ १ ॥ १९ **83 २०, २० - - - - - -- सुविधि ज्ञान सन्द्रिका प्रकाशन संस्था, औरंगाबाद.

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