Book Title: Raman Maharshi Evam Aatm Gyan Ka Marg
Author(s): Aathar Aasyon
Publisher: Shivlal Agarwal and Company

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Page 12
________________ पहला अध्याय प्रारम्भिक जीवन शैव लोग रुद्र-दर्शन का समारोह वढी श्रद्धापूर्वक मनाते हैं। इसी दिन शिव ने नटराज के रूप मे, अर्थात् विश्व की सृष्टि और प्रलय के ताण्डव नृत्य के रूप में, अपने भक्तो को दर्शन दिये थे । सन् १८७६ को इसी दिन गोधूलि के समय दक्षिण भारत के तमिल प्रदेश स्थित तिरुचुजही कस्बे में शिव के भक्तगण धूलभरी सडको पर मन्दिर के तालाव की ओर नगे पांव चल पडे थे । वहाँ ब्राह्म मुहूत मे स्नान करने की परम्परा चली आती है। सूर्य का अरुण प्रकाश उस विशाल वर्गाकार तालाब की पत्थर की सीढियो से स्नान करने के लिए नीचे उतर रहे केवल घोती धारण किये हुए पुरुषों और महिलाओ की गहरी लाल तथा सुनहरी साडियो पर पड रहा था। ठण्डी-ठण्डी हवा चल रही थी क्योकि इस वार त्यौहार दिसम्बर के महीने मे पडा था । परन्तु इस प्रदेश के लोग बड़े सहिष्णु हैं । कुछ लोगो ने वृक्षो के नीचे या तालाव के निकटवर्ती घरो मे कपडे बदले । परन्तु अधिकाश लोग यह सोचकर कि उनके कपडे धूप मे सूख जायेंगे, गीले वस्त्र धारण किये हुए ही उस कस्बे के प्राचीन मन्दिर की ओर चल पडे । तमिल प्रदेश के सठ शैव कवि दार्शनिको में से एक सुन्दरमूर्ति स्वामी हुए हैं, जिन्होंने प्राचीनकाल में इस मन्दिर को अपने भक्तिगीतो से गुजाया था । मन्दिर मे शिव की प्रतिमा फूलो से लदी थी। लोगो ने ढोल और शख बजाते हुए पवित्र गीतो की मधुर ध्वनि के साथ दिनभर मूर्ति का जुलूस निकाला था। रात के एक वजे जुलूस समाप्त हुआ । शिव की प्रतिमा मन्दिर में पुन प्रविष्ट हुई और इसी समय सुन्दरम ऐम्पर तथा उनकी पत्नी अलगम्माल के घर मे वालक वेंकटरमण का जन्म हुआ । इसी बालक से शिव को श्रीरमण के रूप में प्रकट होना था। पश्चिमी ईस्टर की तरह हिन्दू त्योहार भी चद्रमा की कलाओ के अनुसार बदलते रहते हैं । इस वर्ष रुद्र-दर्शन २६ दिसम्बर को पढ़ा था । बालक समय, दिन और वर्ष के हिसाब से, लगभग दो हजार वर्ष पूर्व पैदा हुए वैलेम के दिव्य चालक से कुछ देर बाद पैदा हुमा था । उसके देहावसान के समय भी यही सयोग घटित हुआ । श्रीरमण का

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