Book Title: Pushpa Prakaran Mala Author(s): Purvacharya Publisher: Jinshasan Aradhana Trust View full book textPage 7
________________ म तथा भाषांतर. हीन बुद्धि अने हीन वळवाळा, श्री सिद्धान्त रुपी समुद्रनो पार पामवामां अशक्तिवाना तथा संक्षेप रुचिवाळा शिष्यजनोना अनुग्रहने माटे सूक्ष्मार्थना सारांशथी निबद्ध आ ग्रंथ कयों छे. तेना प्रारंभमां भक्तिना अतिशयपणाथी त्रण भुवनना स्वामी श्री जिनेवर भगवा. ननी स्तुति करे छे. प्रथम पोताना अभीष्ट देवता प्रत्ये पोतानी विज्ञप्तिने प्रकाश करवा पूर्वक अभिधेय कहे छे. जह तुह दसणरहिओ, कायटिईभीसणे भवारने । भमिओ भवभयभंजण, जिणिंद तह विनविस्सामि॥१॥ मूलार्थ-हे संसारना भयनो नाश करनार जिनेंद्र ! तमारा दर्शन रहित हुँ जे प्रमाणे आकायस्थितिए करीने भयंकर भवारण्यमां भटकयो, ते प्रणाणे तमने विज्ञापना करूं छु-जणाईं छु. १. ____टीकार्थ-हे जिनेन्द्र ! तमारा दर्शनयी रहित-दर्शन एटले द्रव्ययी दृष्टिवडे जोवु ते, अने भावथी सम्यग्दर्शन (समकित) कहेवाय 2. अहीं सर्वकल्याण- एकांत कारण होवायी भाव दर्शन लीधेलुछे. कारण के द्रव्य दर्शन तो अभन्योने पण अनंती वार प्राप्त थाय छे. तेथी तमारा दर्शने करीने रहित एटले सम्यक् दर्शनथी रहित एवो हुँ अर्थात हुं शब्दे करीने समग्र प्राणीओ जाणवा केमके सर्व जीवोने एज प्रमाणे भव भ्रमणनो प्रकार छे, तेथी हुं शन्दे करीने सर्व । जीवो ग्रहण करवा. कायस्थिति एटले सामान्यथी जीवपणा रुप लक्षणे करीने अने विशेषयी नारकादिक लक्षणवाळा पर्याये करीने उपर कहेला जीव- जे सततपणे उत्पन्न यq ते. एवी कायस्थितिवडे भयंकर आ भवरुपी अरण्यने विषे नारकादिक कायस्थितिना दुःखोना अनुभव पूर्वक जे रीते हुँ भम्यो छु, तेवी रीते तमारी पासे विज्ञप्ति करुं छु. अहीं संबोधन द्वाराए विज्ञप्ति करवाने कारण बतावे छे. हे भवभयभंजन ! विर्यच चगेरै गविरुप संसारना भयनो-वारंवारPage Navigation
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