Book Title: Prakrit Vidya 2003 01
Author(s): Rajaram Jain, Sudip Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 46
________________ ही अधिक सत्य है। भगवान् महावीर अहिंसा के अवतार थे, उनकी पवित्रता ने संसार को जीत लिया था। महावीर स्वामी का नाम इस समय यदि किसी भी सिद्धान्त के लिए पूजा जाता है, तो वह अहिंसा है। प्रत्येक धर्म की उच्चता इसी बात में है कि उस धर्म में अहिंसा-तत्त्व की प्रधानता हो। अहिंसा-तत्त्व को यदि किसी ने अधिक से अधिक विकसित किया है, __ तो वे महावीर स्वामी थे।" -महात्मा गांधी . 0 जैनधर्म की विशेष-सम्पत्ति : मैं अपने को धन्य मानता हूँ कि मुझे महावीर स्वामी के प्रदेश में रहने का सौभाग्य मिला है। अहिंसा जैनों की विशेष-सम्पत्ति है। जगत् के अन्य किसी भी धर्म में अहिंसा-सिद्धान्त का प्रतिपादन इतनी सफलता से नहीं मिलता। -डॉ. राजेन्द्र प्रसाद . भगवान् महावीर का कल्याण-मार्ग : यदि मानवता को विनाश से बचाना है और कल्याण के मार्ग पर चलता है, तो भगवान् महावीर के सन्देश को और उनके बताए हुए मार्ग को ग्रहण किए बिना और कोई रास्ता नहीं। -डॉ. श्री राधाकृष्णन जी . • भगवान् महावीर का त्याग : आशा है कि भगवान् महावीर द्वारा प्रणीत सेवा और त्याग की भावना का प्रचार करने से सफलता होगी। पं. जवाहरलाल नेहरू . ० अहिंसा वीर पुरुषों का धर्म है : जैनधर्म पीले कपड़े पहनने से नहीं आता। जो इन्द्रियों को जीत सकता है, वही सच्चा जैन हो सकता है। अहिंसा वीर पुरुषों का धर्म है। कायरों का नहीं। जैनों को अभिमान होना चाहिए कि कांग्रेस उनके मुख्य सिद्धान्त का अमल समस्त भारतवासियों को करा रही है। जैनों को निर्भय होकर त्याग का अभ्यास करना चाहिए। -सरदार वल्लभ भाई पटेल .. ० संसार के पूज्य भगवान् महावीर : भगवान् महावीर एक महान् आत्मा हैं, जो केवल जैनियों के लिये ही नहीं, बल्कि समस्त संसार के लिये पूज्य हैं। आजकल के भयानक समय में भगवान महावीर की शिक्षाओं की बड़ी जरूरत है। हमारा कर्तव्य है कि उन उनकी याद को ताजा रखने के लिए उन के बताये हुए मार्ग पर चलें। -जी.बी. मावलंकार, स्पीकर-लोकसभा . 0 भगवान् महावीर का उपदेश शान्ति का सच्चा मार्ग है : भगवान् महावीर का संदेश किसी खास कौम या फिरके के लिये नहीं है, बल्कि समस्त संसार के लिये है। अगर जनता महावीर स्वामी के उपदेश के अनुसार चले, तो वह अपने जीवन को आदर्श बना ले। संसार में सच्चा सुख और शांति उसी सूरत में प्राप्त हो सकती है, जबकि हम उनके बतलाये हुए मार्ग पर चलें। -श्री राजगोपालाचार्य . 0 जैनधर्म का प्रभाव : जैनधर्म और संस्कृति प्राचीन है। भारतवासी जैनधर्म के नेताओं तीर्थंकरों को मुनासिब धन्यवाद नहीं दे सकते। जैनधर्म का हमारे किसी न किसी विभाग में राष्ट्रीय जीवन पर बहुत बड़ा प्रभाव है। जैनधर्म के साहित्यिक 0044 प्राकृतविद्या-जनवरी-जून '2003 (संयुक्तांक)

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