Book Title: Prakrit Vidya 2003 01
Author(s): Rajaram Jain, Sudip Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 101
________________ 'खारवेल-महोत्सव' गरिमापूर्वक सम्पन्न उड़ीसा सरकार के संस्कृति मंत्रालय, उत्कल संस्कृति विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर एवं के. एन. फाउण्डेशन के संयुक्त तत्त्वावधान में दिनांक 8 से 14 फरवरी, '03 तक आयोजित खारवेल महोत्सव में दिनांक 13 फरवरी, '03 को 'जैनधर्म एवं संस्कृति से, खारवेल के सम्बन्ध' के विषय में विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ-साथ एक विचार-गोष्ठी भी आयोजित हुई। इस गोष्ठी में उड़ीसा के माननीय संस्कृति मंत्री, उड़ीसा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, उड़ीसा से राज्यसभा सांसद, उत्कल संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति तथा अन्य अनेकों गणमान्य विद्वानों और महानुभावों के साथ-साथ विशेषरूप से आमंत्रित विद्वानों में डॉ. सुदीप जैन दिल्ली एवं डॉ. अभय प्रकाश जैन ग्वालियर, डॉ. रमेशचन्द्र जैन बिजनौर भी सम्मिलित हुए। इस अवसर पर डॉ. सुदीप जैन ने अपने मुख्य-वक्तव्य में सम्राट् खारवेल के शिलालेख का बहुआयामी महत्त्व बताते हुए इस क्षेत्र की सांस्कृतिक एवं पुरातात्त्विक महत्ता पर प्रकाश डाला, और खण्डगिरि-क्षेत्र पर जैन गुफाओं में हो रहे अनधिकृत अतिक्रमण को संस्कृति एवं पुरातत्त्व के साथ खिलवाड़ बताते हुए राज्य सरकार एवं केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय, पुरातत्त्व विभाग आदि के अधिकारियों और स्थानीय प्रशासन से पुरजोर मांग की कि “वे न्यायालय के निर्णय का सम्मान करते हुए अविलम्ब अतिक्रमण को हटाए, और क्षेत्र की गरिमा बनाने में योगदान दें।" उन्होंने स्पष्ट किया कि “पूज्य आचार्यश्री विद्यानन्द जी मुनिराज जब क्षुल्लक अवस्था में थे, तब महीनों आकर इस शिलालेख का अध्ययन करते रहे, और उन्हीं की प्रेरणा से आठ वर्ष पहले 'खारवेल-महोत्सव' का शुभारंभ हुआ। आज भी उनके पावन-आशीर्वाद से सारे देश की जनसमाज एवं विद्वान् इस क्षेत्र के प्रति तन-मन-धन से समर्पित होकर योगदान करने के लिए तैयार हैं। आवश्यकता है दृढ़ इच्छाशक्ति और निष्ठापूर्वक कार्य करने की।" उन्होंने बताया कि सम्राट् खारवेल और उड़ीसा की सांस्कृतिक विरासत को विश्वस्तर पर प्रचारित करने के लिए ही पूज्य आचार्यश्री के आशीर्वाद से राजधानी नई दिल्ली में कुन्दकुन्द भारती प्रांगण में बन रहे विशाल पुस्तकालय भवन एवं सभागार का नामकरण 'सम्राट् खारवेल' के नाम से किया जा रहा है। ___ डॉ. . सुदीप जैन के वक्तव्य की माननीय संस्कृति मंत्री जी, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश महोदय तथा उत्कल संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति महोदय ने भूरि-भूरि प्रशंसा की और पूज्य आचार्यश्री के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए यह वचन दिया कि स्थानीय प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाकर इस क्षेत्र की गरिमा को शीघ्र बहाल किया जाएगा। तथा यहाँ तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए समुचित सुविधाओं का विकास किया जाएगा। उड़ीसा की जैनसमाज के प्रमुख श्री शांतिकुमार जी जैन ने इस अवसर पर बोलते हुए यह भावना व्यक्त की कि सम्राट् खारवेल के शिलालेख के प्राचीन मनीषियों द्वारा तैयार किए प्राकृतविद्या जनवरी-जून '2003 (संयुक्तांक) 0099

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