Book Title: Prakrit Vidya 2003 01
Author(s): Rajaram Jain, Sudip Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 107
________________ संयोजन एवं संचालन डॉ. सुदीप जैन ने किया। समारोह का आयोजन दिगम्बर जैन समाज न्यू रोहतक रोड ने किया। –सम्पादक ** डॉ. सुदीप जैन 'गोम्मटेश विद्यापीठ प्रशस्ति' (2003) से सम्मानित श्री एस.डी.एम.आई. मैनेजिंग कमेटी, श्रवणबेलगोला (कर्नाटक) के द्वारा स्थापित एवं संचालित दक्षिण भारत के ज्ञानपीठ-पुरस्कार के समान प्रतिष्ठित 'श्री गोम्मटेश विद्यापीठ पुरस्कार' (वर्ष 2003) का समर्पण-समारोह दिनांक 14.4.2003 को सायंकाल 7:00 बजे श्रीक्षेत्र श्रवणबेल्गोला में भव्य-समारोहपूर्वक सम्पन्न हुआ। इसमें उत्तर भारत के विशिष्ट विद्वान् डॉ. सुदीप जैन को प्राकृतभाषा और साहित्य के क्षेत्र में अनन्य योगदान के लिए इस वर्ष का गोम्मटेश विद्यापीठ प्रशस्ति पुरस्कार' सबहुमान समर्पित किया गया। पुरस्कार-समिति के कार्याध्यक्ष श्री ए. शांतिराज शास्त्री एवं कार्यादर्शी श्री एस.एन. अशोक कुमार की देखरेख में गरिमापूर्वक आयोजित इस समारोह में पूज्य भट्टारक स्वस्तिश्री चारुकीर्ति स्वामी जी ने अपने करकमलों से डॉ. सुदीप जैन को माल्यार्पण, शॉल, श्रीफल एवं प्रशस्ति-पत्र सहित यह सम्मान प्रदान किया। इस समारोह में तीन दक्षिण भारतीय विद्वानों को भी उनके विशेष योगदान के लिए सम्मानित किया गया। वे हैं- 1. श्री पी.सी. गुंडवाडे (रिटायर्ड जज) बेलगाम, 2. श्री रतनचंद नेमिचंद कोठी, इंडी, 3. डॉ. सरस्वती विजय कुमार, मैसूर। इनके साथ ही दिनांक 16.4.2003 को आयोजित कार्यक्रम में 'श्री गोम्मटेश्वर विद्यापीठ सांस्कृतिक पुरस्कार' भी श्रीमती टी.वी. सुमित्रा देवी, तुमकूर को समर्पित की गई। एवं श्री सर्वेश जैन, मूडबिद्री, को 'श्री ए.आर. नागराज प्रशस्ति' से सम्मानित किया गया। -डॉ. एन. सुरेश कुमार ** 'प्राकृत एवं जैनविद्या शोध-संदर्भ' का नया संस्करण - श्री कैलाशचंद्र जैन स्मृति न्यास, खतौली (उ.प्र.) द्वारा प्रकाशित 'प्राकृत एवं जैनविद्या शोध-संदर्भ' का तृतीय संवर्द्धित संस्करण शीघ्र प्रकाशनाधीन हैं। इसमें सूचना देने के इच्छुक विद्वान् निम्नलिखित पते पर सम्पर्क करें- डॉ. कपूर चंद जैन, अध्यक्ष–संस्कृत विभाग, कुन्दकुन्द जैन पी.जी. कॉलेज, खतौली251201 (उ.प्र.), जिला-मुजफ्फरनगर।। -सम्पादक ** श्री वी. धनकुमार जैन को 'डॉक्टरेट' प्राप्त तमिलनाडु से उत्तर भारत आकर जैनधर्म-दर्शन एवं अध्यात्म का अध्ययन करनेवाले धर्मानुरागी श्री वी. धनकुमार जैन को राजस्थान विश्वविद्यालय' जयपुर (राज.) से पीएच. डी. की शोध-उपाधि प्राप्त हई है। आपने डॉ. शीतलचंद जैन के निर्देशन में 'आचार्य कुन्दकुन्द के साहित्य में तत्त्वों का समीक्षात्मक अध्ययन' विषय पर अपना शोध-प्रबन्ध लिखा था। 'प्राकृतविद्या'-परिवार की ओर से हार्दिक बधाई। –सम्पादक** प्राकृतविद्या-जनवरी-जून '2003 (संयुक्तांक) 00 105

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