Book Title: Prakrit Vidya 2003 01
Author(s): Rajaram Jain, Sudip Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 87
________________ न.वि.वि. इधर से सेवासदन की अन्नपूर्णाबाई आपटे जी को परिषद् के लिए भेजा था। उन्होंने यथामति अपने भाई-बहिनों की जो कुछ सेवा की और आप लोगों ने उन्हें जिस अत्यधिक सम्मान से मान्यता दी— इसका आद्योपांत-वृत्तांत रा.रा. श्री देवधर और श्री काकू से सुनकर बड़ा संतोष हुआ। अपने देश में अलग-अलग कामों के लिए कितनी भी धार्मिक, औद्योगिक या शिक्षा-संस्थाएँ स्थापित हों, सबका अंतिम-लक्ष्य एक होने से आपस में बहन-भाई का रिश्ता रखते हैं। आपसी सहयोग उनका फर्ज बनता है। आपका कोल्हापुर स्थित 'श्राविकाश्रम' और 'महिला सभा' के बारे में सुविधानुसार से लिखें। धार्मिक रूढ़ियों में गले तक फंसी जैन-महिलाओं को इकट्ठा कर आधुनिक विचारों का उनमें बहाव लाना तथा इस वास्ते स्वतंत्र विद्याविभाग स्थापित करना। कोल्हापुर संस्थान की महिलाओं के लिए छात्रवृत्ति शुरू कर शिक्षा को बढ़ावा देना। इन सब बातों से उनके कार्य का समूह-दृष्टि में आता है। दूसरे समाज के स्त्री-पुरुषों को बुलाकर अपने समाज को मार्गदर्शन करवाना, जिससे अपना समाज कहाँ है? इसका मूल्यांकन करना आदि काम लट्टे जी ने किये हैं। तत्कालीन समाज के सनातनी व हितशत्रुओं का विरोध उन्हें निश्चितरूप से सहना पड़ा। कभी-कभार सुधारों का ज्यादातर आग्रह न करते हुए किंतु शनैः शनैः निश्चित बदलाव का उनका दृष्टिकोण भी जान पड़ता है। कोई भी सुधार जिनके लिए करना है, उनमें ही एक पग पक्का जमाकर लोगों को प्रगतिशील विचारों के साथ आगे ले जाना चाहिए -यह लट्ठ जी की विचारधारा थी। 'चॅरिटी बिगेन्स फ्रॉम होम' को मद्देनजर रखते हुए पत्नी और साली को शिक्षित कर समाजकार्य के लिए प्रवृत्त किया। महात्मा फुले जी और छत्रपति शाहू जी का सामाजिक और वैचारिक परंपराएं अपने कार्य से आगे बढ़ाने का काम आण्णासाहब जी ने किया। सन्दर्भ-सूची 1. सत्यशोधक समाज का वार्षिक अहवाल 1916, पालेकर संग्रह पूना, 'दीनमित्र' 26, जून 1929 2. डॉ. कडियाळ रा.अ. 1 कै. नाम. भास्करराव जी जाधव का जीवन और कार्य, इंदुमती प्रकाशन कोल्हापुर, 1990, पृष्ठ 107-108। 3. डॉ. पाटील पद्मजा, आण्णासाहब जी लठे और उनका काल, अप्रकाशित पीएच.डी. प्रबंध, शिवाजी विद्यापीठ, 1986, पृष्ठ 326। 4. किर धनंजय छत्रपति शाहू : ए रॉयल रिव्ह्यूल्युशनरी, पॉप्युलर प्रकाशन, मुम्बई, ___1976, पृष्ठ 202-203, आण्णासाहब जी लढें - मेमॉयर्स ऑफ हिज आयनेस छत्रपति शाहू महाराजा ऑफ कोल्हापुर, 1924, मुंबई खंड 1, पृष्ठ 316।। 5. डॉ. संगवे, छत्रपति शाहू का पत्रव्यवहार, खंड 4, (1900-1905) हुकुम क्र. 75 ___ शिवाजी विद्यापीठ प्रकाशन, 1988 पृष्ठ 91। 6. डॉ. खणे, श्री शाहू-सामाजिक और राजकीय आंदोलन का अभ्यास, शिवाजी विद्यापीठ, प्राकृतविद्या-जनवरी-जून '2003 (संयुक्तांक) 0085

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