Book Title: Prakrit Kathasangraha
Author(s): Jinvijay
Publisher: Gujarat Puratattva Mandir Ahmedabad

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Page 18
________________ १४ प्राकृत कथासग्रह पज्जोसवणा चेव न सुज्झइ । ताहे मुक्को खामिओ य । पट्टो य सोवण्णो ताणक्खराण छायणनिमित्तं बद्धो । सो य से विसओ दिन्नो तप्पभिई पट्टबद्धया रायाणो जाया, पुव्वं मउडबद्धो आसि । वित्ते वासा-रत्ते गओ राया । तत्थ जो वणियवग्गो आगओ, सो 5 तहिं चेव ठिओ । ताहे तं दसपुरं जायं । तए णं से उदायणे राया अन्नया कयाइ पोसह-सालाए पोसहिए एगे अबीए पक्खियं पोसहं सम्म पडिजागरमाणे विहरइ । तओ तस्स पुव्वरत्तावरत्त-काल-समयसि जागरियं करेमाणस्स एयारूवे अज्झथिए समुप्पज्जित्था 'धन्ना णं ते गाम-नगरा, जत्थ णं समणे वीरे 10 विहरइ,धम्मं कहेइ धन्ना णं ते राईसर-पभिईओ,जे समणस्स महावीरस्स अन्तिए केवलि-पन्नत्तं धम्मं निसामेन्ति, एवं पञ्चाणुव्वयं सत्त-सिक्खावइयं सावग-धम्म दुवालस-विहं पडिवज्जन्ति' एवं मुण्डा भवित्ता आगाराओ अणगारियं पव्वयान्त । तं जइ णं समणे भगवं महावीरे पुव्वाणुपुचि दूइज्जमाणे 15 इहेव वीयभए आगच्छेज्जा, ता णं अहमवि भगवओ अन्तिए मुण्डे भवित्ता जाव पव्वएज्जा। तए णं भगवं उदायणस्स एयारूवं अज्झत्थियं जाणित्ता चम्पाओ पडिनिक्खमित्ता, जेणेव वीयभए नयरे, जेणेव मियवणे उज्जाणे, तेणेव विहरइ। तओ परिसा निग्गया उदायणे य। तए णं उदायणे महावीरस्स अन्तिए 20 धम्म सोच्चा हठ-तुटे एवं वयासी जं नवरं जेट-पुत्तं रजे अहिसिञ्चामि, तओ णं तुन्भ, अन्तिए पव्वयामि'। सामी भणइ 'अहासुहं, मा पडिबन्धं करेहि ! तओ णं उदायणे आमिओगियं हत्थि-रयणं दुरुहित्ता सए गिहे आगए । तओ उदायणस्स एयारूवे अज्झथिए जाए, जइ णं अभिई कुमारं रज्जे ठवित्ता पव्वयामि, तो 25 अभिई रज्जे य रटे य जाव जणवए य माणुस्सएसु य काम-भोगेसु मुच्छिए अणाइयं अणवयग्गं संसार-कन्तारं अणुपरियट्टिस्सइ । तं सेयं खलु मे नियगं भाइणेज्ज केसिं कुमारं रज्जे ठवित्ता पव्वइत्तए। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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