Book Title: Prakrit Kathasangraha
Author(s): Jinvijay
Publisher: Gujarat Puratattva Mandir Ahmedabad

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Page 33
________________ बम्भदत्त - सोमे नयरे चण्डवडिंसयस्स रन्नो पुत्तो मुणिचन्दो नाम आसि । सो य निविण्ण-काम-भोगो सागरचन्दस्स अन्तिए पव्वइओ । अन्नया उग्गं पव्वज्ज करेन्तो, गुरूहि समं विहरन्तो, देसन्तरं पयट्टो, भिक्खट्ठा गामं पविट्ठो, सत्थेण मुक्को, पच्छा अडवीए पन्भट्ठो । 5 तं पि तण्हा-छुहा-किलन्तं पेच्छन्ति चत्तारि गोवाल-दारगा। तं पडियरिय तओ तद्दसणाए पडिबुद्धा पन्वज्जं पडिवज्जिया । दो दुगञ्छं काऊण देवलोगं गया । तओ दसपुरे नगरे सण्डिल्लस्स माहणस्स जसमई-दासीए दो वि पुत्ता जमलगा तेणेव बम्भणेण जाया । अति कन्त-बाल-भावा जोव्वणं पत्ता । अन्नया खेत्त-रक्खणट्ठा अडविंगया । 10 तत्थ वडपायवस्स हेट्ठा पसुत्ता वडकोट्टाराओ निग्गन्तूण डक्को भुय गमेण एगो दारगो । बीओ वि सप्पोवलम्भ-निमित्तं भमन्तो तेणेवाहिणा दट्ठो । तओ अकय-पडियारा दो वि मया सन्ता कालिञ्जर नगे मिगीए जमलत्तेण जाया । पुव्व-पीइ-संबन्धाओ आसन्नं चरन्ता वाहेण एगेण चेव सरेण दो वि बिणिवाइया । तओ मया गङ्गातीरे दो 15 वि हंसा एगाए हंसीए गभमि उववन्ना, जाया, कालक्कमेण अइ कन्त-बाल-भावा । अन्नया तहेव समं भमन्ता एगेण मच्छबन्धेण एगाए पासियाए झत्ति गेण्हिऊण खन्धारं वालिऊण विणिवाइया। तओ वाणारसीए नयरीए महाधण-समिद्धस्स भूयदिन्नाभिहाणस्स पाणाहिवइणो पुत्तत्ताए उववन्ना। तहेव अईव पइि-संजुत्ता चित्त20 संभूयनामाणो य भायरो जाया । इओ य तंमि विसए वाणारसीए सङ्खो नाम राया, नमुईनामो य से. मन्ती । अन्नया कह वि तहाविहे खूणे जाए जण-पच्छन्नं वहट्ठयाए तस्स भूयदिन्नो पाणाहिवई आणत्तो राइणा । तेण वि पच्छन्नो विहिओ भाणओ य ' रक्खामि अहं तुमं, जइ भूमिहर-ठिओ मम Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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