Book Title: Prakrit Kathasangraha
Author(s): Jinvijay
Publisher: Gujarat Puratattva Mandir Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 19
________________ १५ उदायण एवं संपेहेत्ता सोभणे तिहि-करण-मुहुत्ते कोडुम्बिय-पुरिसे य सद्दावेत्ता एवं वयासि · खिप्पामेव केसिस्स कुमारस्स राया-भिसेयं उवहवेह ! 'तहो महिड्ढीए अभिसित्ते केसी कुमारे राया जाए जाव' पसासेमाणे विहरइ । तओ उदायणे राया केसिं रायं आपुच्छइ 'अहण्णं, देवाणुप्पिया, संसार-भउव्विग्गो पव्वयामि' । तओ केसी 5 राया कोड्डीम्बयपुरिसे सद्दावेत्ता एवं वयासी; खिप्पामेव उदायणस्स रन्नो महत्थं महरिहं निक्खमणा-भिसेयं उवहवेह ! तओ महया-विभूईए अभिसित्ते सिवियारूढे भंगवओ समीवे गन्तूण पव्वइए जाव बहूणि चउत्थ-छठम-दसम-दुवालस-मासड्ढमासा-ईणि तवोकम्माणि कुब्वमाणे विहरइ । 10 अन्नया य तस्स अन्तपन्ताहारस्स वाही जाओ । सो वेज्जेहिं भाणओ 'दहिणा भुजाहि' सो किर भट्टारओ वइयाए अच्छिओ। अन्नया वीयभयं गओ । तल्थ तस्स भागिणेज्जो केसी राया तेणं चेव रज्जे ठाविओ। केसी कुमारो अमच्चेहिं भाणओ ‘एस परीसह पराइओ रज्जं मग्गइ' । सो भणइ ‘देमि' । ते भणन्ति 'न एस राय15 धम्मो । वुग्गाहन्ति चिरेण; पडिसुयं । किं कज्जउ ? विसं से दिज्जउ; एगाए पसुवालीए घरे पउत्तं दाहणा सह देज्जाहि-त्ति । सा य दिन्ना, देवयाए अवहरियं, भणिओ य 'महरिसि, तुज्झ विसं दिन्नं, परिहराहि दहिं !' सो परिहरइ । रोगो वडिउमा-रद्धो। पुणो य गहिओ। पुणो वि देवयाए अवहरियं । तइयं वारं दिन्न, तं पि 20 अवहरियं । सा तस्स पच्छओ य हिण्डिया । अन्नया पमत्ताए देव जाए दिन्नं । पुणो वि भुञ्जन्तो देवयाए निवारिओ। तओ से उदायणे अणगारे बहूणि वासाणि सामण्ण-परियागं पाउणित्ता सहि भत्ताइं अणसणाए छेएत्ता, जस्सहाए कीरइ नग्ग भावे मुण्ड-भावे, तमट्ठ पत्ते जाव दुक्ख-पहीणे-त्ति । 25 तम्स य सेज्जाययो कुम्भगारो । तम्मि कालगए देवयाए पंसु-वरिस पाडियं । तो य अणवराहि-त्ति काउं मिणवल्लीए कुम्भकार-वेक्खो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102