Book Title: Prakrit Kathasangraha
Author(s): Jinvijay
Publisher: Gujarat Puratattva Mandir Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 21
________________ ३. सणकुमार I अत्थि इहेव भारहे वासे कुरुमंगले जणवए हत्थिणाउरं नयरं । तत्थ कुरु- वंसे आससेणो राया, सहदेवी भारिया, चोहसमहासुमिण - सूइओ चउत्थ-चक्कवट्टी सणकुमारो नाम । सो सह पंसुकीलिएण सर- कालिन्दी - तणएण महिन्दसीहेण सह गहिय-कला5 कलावो जोव्वणमणुप्पत्तो । अन्नया वसन्तमासे रायउत्त-नागरयसहिओ गओ कीलणत्थमुज्जाणं । कीलिऊण य तत्थ विसिहकीलाहिं आस-परिवाहणत्थं आरूढा तुरंगमेसु रायकुमारा । सणंकुमारो वि जलहिकल्लोलाभिहाणं तुरंगमारूढो । मुक्का समकालमासा । तओ विवरयि-सिक्खत्तणओ पंचमधाराएं लग्गो कुमार10 तुरंगमो अहंसणी - हूओ खण- मेत्तेण । लग्गो विनाय- वुत्तन्तो राया सपरियणो मग्गे । एत्थन्तरंमि लग्गो चण्ड-मारुओ । तेण मग्गो तुरय-पय मग्गो । महिन्द-सीहेण विन्नत्तो राया 'नियत्तउ महाराओ; अहं कुमार- सुद्धिं लहिऊण वलिस्सं' । नियत्तो राया । महिन्दसीहो वि लग्गो अणुमग्गेण कुमारस्स । पविट्ठो मसिणं महाडहं । 15 हिण्डन्तस्स अइयं वरिसमेगं । एगदिवसंमि य गओ थेवं भूमिभागं । ताव निसुओ सारस-रवो, अग्वाइओ अरविन्द - परिमलो, पयट्टो तय-भिमुहं, दित्थं च सर- वरं, निसुओ महुरो गीय- वेणुरवो । हरिसुप्फुल्ल- लोयणो जाव गच्छ ताव पेच्छइ तरुणी- यण-मज्झसंठियं सणकुमारं । विम्हिय-माणसो चिन्तेइ 'किं मण- विब्भमो एस, 02 किं वा सच्चं चेव एस सणकुमारो ?' वियप्पन्तो जाव चिट्ठा, ताव पढियं बन्दिणा जय आससेण - नहयल - मयंक कुरु-मवण लग्गणे खम्भ | जय तिहुयण-नाह सणकुमार जय लद्धमाहप्प ॥ तओ सणकुमारो - ति कय - निच्छओ महिन्द-सीहो । पमोयाऊ ३ प्रा. क. सं. Jain Education International - For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102