Book Title: Prakrit Kathasangraha
Author(s): Jinvijay
Publisher: Gujarat Puratattva Mandir Ahmedabad

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Page 26
________________ प्राकृत कथासंग्रह पुणो कड़िय-मण्डलग्गो उटिओ; कुमारेण तस्स करो छिन्नो । तओ बाहु-जुज्झं इच्छन्तो आगओ; कुमारेण वि चक्केण युद्धविगलं सरीरं कयं । तओ तक्खणमेवा-सणिवेग-विज्जाहर-रायलच्छी सयलविज्जाहर-समेया सणंकुमारं संकन्ता । तओ हन्तूण असाणवेगं थुन्वन्तो चन्दवेग-पमुहेहिं नभाओ रहेण विज्जाहर-सहिओ ओय5 रिओ पासाय-वडिंसए, दिट्रो य तत्थ हरिसियाहिं सुणन्दा-संझाव लीहिं, वुत्तो य ताहिं 'अजउत्त, सायग'-ति । तओ लद्ध-जया गया वेयडू अणेग-विज्जाहर-विज्जाहरी-लोग-परिगया मंगल-तूर-रवाऊरिजमाण-दियन्ता, पविठ्ठा नियय-मन्दिरेसु । कओ य सणंकुमा· रस्स सयल-विज्जहर-राया-भिसेओ । तओ सुहं सुहेण अच्छन्ति । 10 अन्नया य चन्दवेगेण विन्नत्तो चक्की, जहा · देव ' मज्झ मुणिणा अज्जिमालिणा सिटैं, जहा तुह एवं कन्नासयं, भाणुवेगस्स अट्र कन्नाओ चक्की परिणेही; सो य सणंकुमार-नामा चउत्थो चक्कवट्टी जिणेहिं समाइट्रो, सो य इओ मास-मेत्तेणं एही माणस-सर वरं ति । तत्थ मज्जणुत्तिणं वसणावडिय-ति नाउण असि-यक्खो 15 नाम जक्खो पुव्व-भव-वेरी दच्छिही । कहं सो पुव्व-भव'वेरी ? भणइ । ___ अत्थि कंचणपुरं नाम नयरं । तत्थ विक्क-मजसो नाम राया, तस्स पञ्च अन्तेउर-सयाइं । तत्थ नागदत्तो नाम सत्थवाहो । तस्स रूवजोव्वण-लायण्ण-सोहग्ग-गुणेहिं सुर-सुन्दरीण वि अज्झहिया विण्हुसिरी नाम भज्जा। सा विकमजसेण कहिंचि दिट्ठा । मयणाउ20 रेण अन्तेउरे वूढा । तओ नागदत्तो तविओए ' हा पिए चन्दा णणे, कत्थ गया ? देहि मे दंसणं-ति । एवं विलवन्तो डिम्भ-परिगओ उम्मत्तीभूओ कालं गमेइ । तओ य सो विकमजसो राया अवहत्थिय रज-कज्जो अगणिय-जणा-ववाओ अवमन्निय-वर-तरुणिपंच-सयावरोहो तीए विण्हुसिरीए समं अच्चन्त-रइ-पसत्तो कालं 25 गमेइ । अन्नया ताहिं अन्तेउरियाहिं रन्ना परिभूयाहिं ईसा-परव्व Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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