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संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष अक्खुअ-अगंठिम भिक्षान्न दूसरे सैकड़ों लोगों को यावत्-तप्ति । अक्खोड पुं [अक्षोट] अखरोट का पेड़ । न. खिलाने पर भी तबतक कम न हो, जबतक | अखरोट वृक्ष का फल । राजकुल को दी जाती भिक्षान्न लानेवाला स्वयं उसे न खाय। सुवर्ण आदि की भेंट ।
महालय वि जिससे थोड़ी जगह में भी बहुत | अक्खोड पुं [आस्फोट] प्रतिलेखन की क्रियालोगों का समावेश हो सके ऐसी अद्भुत | विशेष । आत्मिक शक्ति से युक्त।
__पुं [अक्षोभ] क्षोभ का अभाव,
अक्खोभ । अक्खुअ वि [अक्षत] अक्षीण, श्रुटि-शून्य ।।
! घबराहट का अभाव । यदुवंश
अक्खोह । के राजा अन्धकवृष्णि का एक अक्खुडिअ वि [अखण्डित संपूर्ण, अखण्ड, त्रुटिरहित ।
पुत्र, जो भगवान् नेमिनाथ के पास दीक्षा अक्खुण्ण वि [अक्षुण्ण] अविच्छिन्न ।
लेकर शत्रुजय पर मोक्ष गया था । न. 'अन्तअक्खुद्द वि [अक्षुद्र] गंभीर, अतुच्छ । दयालु । !
कृद्दशा' सूत्र का एक अध्ययन । वि. क्षोभउदार । सूक्ष्म बुद्धिवाला।
रहित, अचल, स्थिर। अक्खुद्द न [अक्षौद्रय] क्षुद्रता का अभाव ।। अक्खोहिणी स्त्री [अक्षौहिणी] एक बड़ी अक्खुपुरी स्त्री [अक्षपुरी] नगरी-विशेष । सेना, जिसमें २१८७० हाथी, २१८७० रथ, अक्खुब्भमाण वि [अक्षुभ्यमान] जो क्षोभ ६५६१० घोड़े और १०९३५० पैदल को प्राप्त न होता हो।
होते हैं। अक्खभिय देखो अक्खुहिय ।
अखंड वि [अखण्ड] परिपूर्ण, खण्डरहित । अक्खुहिय वि [अक्षुभित] क्षोभरहित, त्रुटिरहित । अक्षुब्ध ।
अखंडल पुं [आखण्डल] इन्द्र । अक्खूण सि [अक्षूण] अन्यून, परिपूर्ण । अखंपण वि [दे] स्वच्छ, निर्मल । अक्खेअ अक्खा -आ + ख्या । का कृ । | अखत्त न [अक्षात्र] क्षत्रिय-धर्म के विरुद्ध । अक्खेव पुं [अ+क्षेप] शीघ्रता ।
जुलुम । अक्खेव पुं [आक्षेप] आकर्षण, खींच कर अखरय पुं [दे] एक प्रकार का दास । लाना। सामर्थ्य, अर्थ की संगति के लिए | अखादिम वि [अखाद्य] खाने के अयोग्य । अनुक्त अर्थ को बतलाना । आशंका, पूर्वपक्ष। अखाय वि [अखात] नहीं खुदा हुआ। °तल उत्पत्ति ।
न छोटा तलाव। अक्खेवग पुं [आक्षेपक] खींचकर लानेवाला, | अखिल वि सर्व, सकल, परिपूर्ण । ज्ञान आदि आकर्षक । समर्थक पद, अर्थसंगति के लिए गुणों से पूर्ण । अनुक्त अर्थ को बतलानेवाला शब्द । सान्निध्य- | अखुट्ट वि [दे] अम्बूट । कारक ।
अखेयण्ण वि [अखेदज्ञ] अकुशल, अनिपुण । अक्खेवणी स्त्री [आक्षेपणी] श्रोताओं के मन | अखोड देखो अक्खोड + आस्फोट । को आकर्षित करनेवाली कथा ।
अखोहा स्त्री [अक्षोभा] विद्या-विशेष । अक्खोड सक [कृष] म्यान से तलवार को | अग पुवृक्ष । पर्वत । खींचना, बाहर करना।
अगइ स्त्री [अगति] नीच गति, नरक या अक्खोड सक [आ+ स्फोटय] थोड़ा या एक पशु-योनि में जन्म । निरुपाय । बार झटकना।
अगंठिम न [अग्रन्थिम] केला । फल को फाँक
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