Book Title: Prakrit Bhasha ka Tulnatmak Vyakaran
Author(s): K R Chandra
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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८१
पद-रचना : क्रिया-प्रकरण
स्वरान्त धातुओं में 'सिं', 'सि', 'सि' और 'सिम्ह', 'सित्थ', 'सुं या अंसु' लगाये जाते हैं तथा धातु के पहले आगम 'अ' वैकल्पिक
रूप से लगाया जाता हैं । (अ) ए.व. (पच्) ब.व.
ए.व. (भू) ब.व. उ.पु. पचिं, अपचिं पचिम्ह, अपचिम्ह अहोसिं अहोसिम्ह म.पु. पचि, अपचि पचित्थ, अपचित्थ अहोसि अहोसित्थ अ.पु. पचि, अपचि पचुं, अपचुं अहोसि
पचिंसु, अपचिंसु अहेसि अहेसुं (ब) अन्य धातुओं के कुछ उपलब्ध रूप : ए.व.
ब.व. उ.पु. अस्सोसिं म.पु. अकासि, अासि, अस्सोसि अ.पु. अकासि, अज्ञासि, अस्सोसि अकासुं, अस्सोसुं . अदासि
अकंसु, अटुंसु (स) पालि भाषा में कभी कभी निम्न प्रकार के रूप भी मिलते हैं : ए.व.
ब.व. उ.पु. अदं (दा), अगम (गम्) अदम्ह (दा), अहुम्ह (भू),
अभुवं (भू) अहुं (भू) अस्सुम्ह (श्रु) अगमाम (गम्),
अगमिसं, अगच्छिसं (गम्) अकराम (कृ), अहं (भू) म.पु. अदो, अदा (दा)
अदत्थ (दा), अकत्थ (कृ) अगमा (गम्)
अगमत्थ, अगमथ (गम्) अहू (भू)
अस्सुत्थ (श्रु) अ.पु. अदा (दा), अट्ठा (स्था) अदुं, अदू (दा), अवोचु (वच्) अगा, अगमा (गम्)
अगमु (गम्), अकरुं (कृ) अभिदा (भिद) अगमासि (गम्)
अगमिसुं (गम्) अहु, अहू (भू)
अहू, अहं (भू)
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