Book Title: Prakrit Bhasha ka Tulnatmak Vyakaran
Author(s): K R Chandra
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 142
________________ परिशिष्ट १२५ का संस्करण याकोबी के संस्करण के साथ मेल खाता है और मूल अर्धमागधी के प्राचीन शब्द-प्रयोगों को प्रकाश में लाने के लिए तथा वे शौरसेनी और महाराष्ट्री से किस प्रकार से अलग हैं यह दर्शाने के लिए आचारांग जैसे सबसे प्राचीन अर्धमागधी ग्रंथ के तीनों संस्करणों (याकोबी, शुब्रिग और मजैवि.) के सभी प्रयोगों की तुलनात्मक शब्दसूचि प्रकाशित की जानी चाहिए जिससे मूल अर्धमागधी प्राकृत के विषय में हमें अधिक स्पष्ट जानकारी प्राप्त होगी। ★ इसिभासियाई का प्राकृत-संस्कृत शब्द-कोश : के. आर. चन्द्र, प्राकृत टेक्स्ट सोसायटी, अहमदाबाद, १९९८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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