Book Title: Prakrit Bhasha ka Tulnatmak Vyakaran
Author(s): K R Chandra
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 140
________________ रेशिष्ट १२३ सूदण हिंसादाणं हिदय --य-=-य्अधियास आयुध उदय गुणोदय णयण णायक णियम ततिय परोवघात पुप्फघात फलघाती लाघवं लाघवो विणिघात -न्----- अंगना अनल अनवदग्गं अनिच्च अनिव्वाण इंदनाग अनुवत्त उवनिचिज्जइ छिन्ननासियं परिनिव्वुडं वनपादव थिरायु निकाय परकीय पणायिका पयोग पसूयते पिय पिया -प-=-प्अपि उपेदस उपयर उपागत णिपतन्ति पाणातिपात बीयातो सेयो हिदय -थ-=-थसारथी -ध्-=-ध्अभिधाण अधगामी अधर अधियास अभिधाण अभिधारय अनिरोधी असाधु आयुध इध उवधि ओसध कोध जुधिर जोध णिधण णिराधार णिरोध दधि -ख-=-ख्सुखेण -घ---घ रिपु विपरीत विपाक विपुल सोपायाण उवघात पघात पडिघात परिघात Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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