Book Title: Prakrit Bhasha ka Tulnatmak Vyakaran
Author(s): K R Chandra
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 117
________________ अक? अचिरम् १०० प्राकृत भाषाओं का तुलनात्मक व्याकरण अम्भो-अम्हो, इदानी-इयाणी, उद-उअ, उदाहु-उदाहो, उयाहु, किमुतकिमुय, सर्कि-सई, सज्जु-सज्ज, सज्जो, स्वे-सुवे, हंद-हंता, हिय्योहिज्जो, इत्यादि । पालि एवं प्राकृत की उपरोक्त, (अ) एवं (ब) के अनुसार, इस समानता के कारण नीचे जो अव्यय दिये गए हैं उनमें पालि के अव्यय अलग से नहीं दर्शाये गये हैं । संस्कृत प्राकृत अपभ्रंश अकृत्वा अग्रतस् अग्गओ अग्रे अग्गे अगइ अङ्ग अंग अइरं अचिरेण अइरेण अइरिण अतः अओ अति अइ अतीव अईव अत्यर्थम् अच्चत्थं अत्र इत्थ, एत्थ इत्थु, एत्थु, इत्तहे, एतहे, इत्थि, एत्थउ, एउ अथ अह अथ किम् अहई अथवा अहवा, अहव, अहवण, अहवइ अदुवा, अदुव अदस् अदु अध अज्ज अज्जु, अजु अधस् अह, अहे अधस्तात् अहत्ता, हेट्ठा अहुट्ठहं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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