Book Title: Prakrit Bhasha ka Tulnatmak Vyakaran
Author(s): K R Chandra
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 137
________________ १२० भगवं भागिण भोग मिग मिगारि राग रोग रोगी ववगत विगत विप्पओग विराग संजोग सराग सोभाग धिति प्राकृत भाषाओं का तुलनात्मक व्याकरण भजिस्सामि जोति भोजणं णिपतन्ति मणुज ततियं महाराज तातारं रजेज्जा तितिक्खा विणाणति तेतिलिपुत्त विजाणित्ता दुम्मति विजाणेज्जा सहजा धूता नीति -त-=-त पंडित " अणिचता पतिट्ठा अण्णतर पाणातिपात अति अतीत पाणातिवात पाणातिवाय अपतिट्ठित पितरं अमत मति अमिता महितल अरति अहित मातरं आतुर माता इतर रति इति विपरीत विरति वीतिवतित्ता एतेण वीतिकंत कुतूहल संतति गति सतिमं चातुरन्त साता जीवितातो मातंग -च-=-चअचलं अचिरेण उवचार बम्भचारी बम्भचेर सुचिरं -ज-=-जअजात अणुजोजित तेजसं तेजसा परिजण एतं एते Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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