Book Title: Prakrit Bhasha ka Tulnatmak Vyakaran
Author(s): K R Chandra
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 119
________________ १०२ प्राकृत भाषाओं का तुलनात्मक व्याकरण अपभ्रंश प्राकृत संस्कृत आदि आम् आविस् आहत्य इतस् एत्तहि, एत्तहें इय, इउ इतरथा इति इत्थम् इदानीम् इव आइ आम, आमं आवि आहच्च इओ, इत्तो, एत्तो इयरहा, इहरा इइ, इअ, इत्ति, ति इत्थं इयाणि, इयाणि, इदाणी, दाणि, दाणि, एण्हं, एण्हि पिव, विअ, व्व, व, चिअ इहअ, इहइं, इहं, इहयं ईसि, ईसिं उअ, उद उदाहो, उयाहु उत्तरसुवे उवरि, उवरिं, उप्पि अवरि, अवरिं उटुं रिते एगया, एकइया, एकइया, एक्कया एगसो, एक्कसि एगंतओ चिअ, च्च, जेव, इत्ताहे, एमहिं, एवहिँ ऍवहिं, एम्वहिं मिव, विव, विउ, ण, णं . इहु, इहँ, इहाँ कूर ईषत् उत उताहो उत्तरवस् उपरि उप्परिं ऊर्ध्वम् ऋते एकदा इक्कसि एकशः एकान्ततस् एव जि, ज्जि, ज्ज Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144