Book Title: Prakaran Mala
Author(s): Ravchand Jechand Shah
Publisher: Ravchand Jechand Shah

View full book text
Previous | Next

Page 197
________________ । बत्रीस हजार ने एंसी। त्रणनूवनमां जिनबिंबने हुं प्रणमुढे एटले कुलर ५४२५७३६०७०॥२३॥ बत्तीससहस असीआ।तिहण बिंबाणि पणमामि २३ चक्रवर्तिपदवीरूप लक्ष्मीबंत न जे अनेरां इहां एटले अढीद्धी रतराजा आदे राजायो तेमने। पमां नीपजाव्यां ॥ ॥ सिरि नरह निवः पमुहेहिं । जाइं अन्नाइंश्च विहिआई। श्री देवेंद्र मुनिश्वरे स्तव्यां ने आपो नव्यजिवने सिद्धि सुख प्रते हेवा त्रीजग जिनबिंब ते। ॥४॥ देविंद मुणिंद थुप्राइंदितु नवीयाण सिधि सुह॥॥ नच्छेद अंगुलना मापे करी। अधोलोके नलोके सात हाथ॥ नस्सेह मंगुलेणं। अह नहमसेस सत्त रयणी ॥ त्रीच्लोके पांचसें धनुष एहवी। शास्वति प्रतीमा प्रणमुद्धं ॥२५॥ तिरिलोए पण धणु सय। सासय पमिमा पणिवयामिश्य इति शास्वता श्री जिननूवन तथा जिनबिंब स्तवन समाप्तः ॥ था प्रक्रणमां संज्ञामात्र देहरां प्रतीमा संख्या बे ते वीस्तारे यंत्रथी जांणजो नली बुद्धीथी वंदना करज्यो॥ - - नाम सं ख्या ॥ अथ त्रीलोक चैत बींब संख्या ॥ ॥अधोलोकमां जिननूवन बींब संख्या॥ वामनां नाम नूवन संख्या जिनींब संख्या असुरकुंमारमां॥ |६४००००० ११५२०००००० नागकुंमारमा ॥ ४००००० १५१२०००००० - -

Loading...

Page Navigation
1 ... 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226