Book Title: Prakaran Mala
Author(s): Ravchand Jechand Shah
Publisher: Ravchand Jechand Shah

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Page 201
________________ - mmmmsamasomamiman २०६ ॥अथ शत्रुजय लघुकल्प। श्री अइमुत्ता वा अतीमुक्त कह्यु बे श्री शत्रुजय तीर्थनु माहा केवली जगवंते। त्म्य ॥ __ अश्मुत्तय केवलिणा। कहिश्र सेत्तुंऊ तिच माहप्पं॥ श्री नारदनांमे रिषी आगल। तेसांनलो नाव धरीने हे नव्यजीवो? नारयरिसिस्स पुरन्। तं निसुणह नाव नविश्रा॥१॥ ते शत्रुजयतीर्थ पर श्रीरूपनदेव सिद्ध थयो मुनि पांचकोमने जीनो प्रथमगणधर पुंमरीकनामे। परिवारे ॥ सेत्तुंजे पुमरीन। सिघो मुणि कोमीपंच संजुत्तो॥ चैत्रमासनी पुनमने दिवसे। तेकारणमाटे तेहने कोठे पुमरिकगिरीश चित्तस्स पुषिणमाए। सो नन्नर तेण पुमरिन ॥२॥ नमि विनमि बेनाइ विद्याध ते सिद्ध थया वे कोम मुनि सही रना राजा। नमि विनमि रायाणो। सिघा कोमिहि दोहीं साहुणं॥ तीमज द्राविम वालीखिल्ल बे निवृत्या वा सिद्ध थया दसकोम नाइ मुनि। साधु साथे ॥३॥ ॥ तह दविम वालीखिन्ना। निव्वुश्रा दसय कोमिन॥३॥ प्रद्युम्न कुमार शांब कुमार साढाबाट कोम क्रमपुत्र कुमर प्रमुख। सहीत सिध्या ॥ पन्नि संब पमुहा। अघु धान कुमार कोमिन ॥ तीमज पांमव पण पांच वीस सिद्धिपद पांम्या नारदरिषि एकां कोम साथे सिद्धी वस्या। णु लाखथी॥४॥ तह पंझवावि पंचय। सिधिगया नारयरिसिय॥४॥ - - -

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