Book Title: Prakaran Mala
Author(s): Ravchand Jechand Shah
Publisher: Ravchand Jechand Shah
View full book text
________________
२१
हे मोक्षलक्ष्मीना समुद्र हे मंगलीकना एकधांम मंगलीक कारक प्रार्थना करूतुं इहां स्तोत्र करताई थापणु नाम रत्नाकरसूरि प जाव्यं ॥ २५ ॥
श्रीरत्नाकर मंगलैक निलय श्रेयस्करं प्रार्थये ॥ २५॥
॥ इति रत्नाकर पचीसी समाप्तः ॥
॥ अथ श्री वीरजिन स्तवन ॥
जश्का समणे जयवं । महावीरे जिपुत्तमे ॥ लोगना हे सयंबु | लोगंतिय विवोहिए ॥ १ ॥ वच्चरं दिन्नदापोहे | संपूरिय जणासए ॥ नाणत्तय समानते । पुत्ते सि राइणो ॥ २ ॥ चिच्चा रऊंच र÷च । पुरं तेनरं तहा ॥ निमित्ता आगारान। पव्वइए अपगारियं ॥ ३ ॥ परीसहाणं नो भीए । नेरवाणं खमाखमे ॥ पंचहा समिए गुत्ते । बंजारी किं ॥ ४ ॥ निम्म निरहंकारे । कोहे माण किए ॥ मार लोविमुक्के । पसंते चिन्न बंधणे ॥ ५॥ पुरंवा लेवे । संखोश्व निरंजणे ॥ जीवेवा
परिघाए । गयणंव निरासए ॥ ६ ॥
वानव्व अप्प
| कुम्मोवा गुत्तईदिए || विप्पमुक्के विहंगव्व । खगिसिंगंव एगगे ॥ ७ ॥

Page Navigation
1 ... 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226