Book Title: Prakaran Mala
Author(s): Ravchand Jechand Shah
Publisher: Ravchand Jechand Shah
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marwanamama
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२०० त्रीकण ते मन वचन काया जे शेजानु ध्यान समरण करे शुद्धे जे आराधे ते पांमे फल। ते ॥१७॥ __ तिगरणसुघो लहर। सित्तुळं संनरंतोत्र ॥१७॥ बनने पञ्चखाणे प्रक्षेप गाथा चोवीहार करीने नीचे सात यात्रा। जणाई ।
बछेणं नत्तणं। अपाणेणं तु सत्त जताई॥ जे नव्य प्राणी एक मने ते जव्य जीव त्रीजे नवे मोक्ष सुख करे शत्रुजे तीर्थे। लहे ॥१७॥
जो कुण सेत्तुंजे। तश्य नवे लहर सो मुकं ॥१॥ आज पण देखाई जे लोकमां। जोजन तजीने पुंमरीक पर्वते
_ अगसण करे॥ अवि दीस लोए। नत्तं चईनण पुमरीय नगे॥ स्वर्गे सुखे करीने जाय। शिलव्रत वा आचार वर्जीत होय तो
पण ॥१॥ सग्गे सुहेण वच्च। सील विहूणोवि होकणं ॥१॥ त्रदांने धजादांने पताका चांमर वींझे कलस चढावे थालदां वा झलरी चमावे। ने करी ॥
उत्तं सय पमागं। चामर भिंगार थाल दाणेण ॥ विद्याधरनीपदवी पांमे। तीमज चक्रवर्तिनी पदवी पांमे रथदांने
करी ॥२०॥ विजाहरोअहवः। तह चक्की होइ रहदाणा ॥२०॥ दशलाख वीसलाख त्रीस पचासलाखए एटलां फुलनीमाला लाख३ चालीसलाख। चमावे वा आपे फल कहे॥
दस वीस तीस चत्ता।लरकपन्नासा पुप्फदाम दाणे
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