Book Title: Prachin Jain Smarak Madhyaprant Madhya Bharat Rajuputana
Author(s): Shitalprasad
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 125
________________ ११०] प्राचीन जैन स्मारक । [१६] ओरछाराज्य [बुंदेलखंडएजंसी] बुन्देलखंड एजंसीमें ९८५२ वर्ग मील स्थान है। इसकी चौहद्दी इस प्रकार है-उत्तरमें जालान, हमीरपुर, वांदा; दक्षिणम सागर, दमोह, पूर्वमें वधेलखंड, पश्चिममें झांसी, ग्वालियर । इसमें २४ राज्य हैं, सन् १९०१में यहां जैनी १२२०७ थे। ओरछाराज्य-इसमें २०८५ वर्गमील स्थान है। उत्तर पश्चिममें झांसी है, पूर्वमें चरखरी है, दक्षिणमें सागर, बीजावर और पन्ना है। बनारसके गोहवारोंकी संतान बुन्देला राजपूत हैं। पहला बुन्देला राजा सोहलपाल हुआ जो १३वीं शताब्दीमें था । यह अर्जुनपालका पुत्र था। सन् १२६९से १५०१तक आठ रानाओंने राज्य किया। १९०१में राना रुद्रप्रताप हुए। १५३१में उसके पुत्र भारतीचंद हुए। फिर इसका भाई मधुकरशाह हुआ, इसका पुत्र रामशाह था (१९९२-१६०४ ) इसीके भाई वीरसिंहदेवने ग्वालियरमें अनत्रीके पास अबुलफजलको मारडाला था ( आईने । अकबरी) और १६०५ से १६२७ तक राज्य किया था । यह . बहुत ही प्रसिद्ध था। फिर झुझारसिंहने फिर उसके पुत्र पहाड़- . सिंहने १६४१से १६५३ तक, फिर सुनानसिंहने (१६६३-७२) फिर इन्द्रमणिने (१६७२-५)फिर जसवंतसिंहने (१६७२-८४) फिर भागवतसिंहने (१६८४-८९) फिर उद्योतसिंहने (१६८९ -१७३५) फिर पृथ्वीसिंह (१७३५-५२) फिर सावंतसिंहने (१७९२-६५) इसकी उपाधि महेन्द्र थी फिर हातीसिंहने

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