Book Title: Prachin Jain Smarak Madhyaprant Madhya Bharat Rajuputana
Author(s): Shitalprasad
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia
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________________ राजपूताना। [196 (6) परनापगढ़ देवलिया-श्वे. जैन मंदिरमें पार्श्वनाथकी पीतलकी मूर्ति सं० 1373 ढंढलेश्वरावटकू नगरके श्रीमाल ठाकुर खेताकने अजितदेवसूरि द्वारा (7) वहीं-शांतिनाथकी पीतलकी मूर्ति सं० 1393 प्राग्वाट (पोडवाड़) ज्ञातिके व्यवहारी आल्हा मा० सुमलदेवीने / (8) वहीं-शांतिनाथ मूर्ति सं० 1394 वदालम्बी नगरके श्रीमाल प्रभाकने / (9) वहीं मूर्ति पार्श्वनाथ सं० 1452 श्रेष्ठी करमसिंहे पंचतीर्थके पुत्र जैताकने साधु पूज्य पसचन्द्रसरि / (10) वहीं-पीतलमूर्ति पार्श्व० सं० 1479 हूमड़ श्रेष्ठी गोइन्दा मा० गौरादेवी तपागच्छ सोमसुन्दर सूरि / / (11) वहीं-पीतल मूर्ति विमलनाथ सं० १४८३श्रीमाल ठाकुर सादाके पुत्र वेला,वरिया, मेड़ाने नागेंद्रगच्छके पदमसुरिद्वारा। (12) वहीं—सीतलनाथकी पीतलमूर्ति सं० 1909 हूमड़ ठाकुर तेजाने मूलसंघ म० सकलकीर्तिद्वारा। (13) वहीं-पीतल मूर्ति पद्मप्रभु सं० 1518 श्रेष्ठी सामाके पुत्र गड़कने प्राग्वाद नाति, तपागच्छ पंथौली ग्रामके लक्ष्मीसागर सुरिद्वारा। (14) वहीं-पीतल मूर्ति मादिनाथ पंचकल्याणी सं०१५२१ हूमड़ श्रेष्ठी नासल मूलसंघी भ० सकलकीर्ति, भुवनकीर्ति। . (15) परतापगढ़-साधवारा मंदिर-पीतल मूर्ति 24 जिन सं० 1446 व्यवहारी गंगाने पीपलगच्छके गुणरत्नसूरि द्वारा / (16) परताप-झांसदी-रिषभदेवका दि० जैन मंदिर,

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