Book Title: Prachin Jain Smarak Madhyaprant Madhya Bharat Rajuputana
Author(s): Shitalprasad
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 182
________________ प्राचीन जैन .स्मारक। (१३) झालावाडा राज्य । इसकी चौहद्दी यह है-उत्तर पूर्व कोटा, पश्चिम रामपुर । भानपुर, आगरा; दक्षिण पश्चिम सीतामऊ, जावरा; दक्षिण देवास, पूर्वमें घिरावा । यहां ८.१० वर्गमील स्थान है। चंद्रावती-झाकरापाटन नगरके निकट अति प्राचीन नगर चन्द्रावती है। वर्तमान नगरके दक्षिण ओर है. .। कहते हैं इस : नगरको मालवाके राजा चन्द्रसेनने बसाया था जो अबुलफजलके कथनानुसार प्रसिद्ध विक्रमादित्य राजाके पीछे राजा हुआ था । कनिंघम साहब कहते हैं कि यहां सन् ई०से ६००से १००० वर्ष पूर्वके प्राचीन ताम्बेके सिक्के मिले हैं। चन्द्रभागा नदीके तटपर जो ध्वंश हैं उनमें सीतलेश्वर महादेवका बहुत बड़ा मंदिर सन् .६००का है। इन ध्वंसोंके उत्तर सन् १७९६में नया नगर वसाया गया। इसमें एक जैन मंदिर है जो पहले पुराने नगरमें सामिल था। सं० नोट-झालरापाटण नगरमें कई जैन मंदिर हैं व श्रीशांतिनाथकी दर्शनीय मूर्ति व कई दि० जैन मुनियोंके समाधिस्थान हैं । [१४] बीकानेर राज्य । चौहदी है-उत्तर पश्चिम वहावलपुर, दक्षिण पश्चिम जैसलमेर, दक्षिण-माड़वाड़, दक्षिण पूर्व जैपुर शेखावाटी, पूर्वमें लाहोर-हिसार। यहां २३८११ वर्गमील स्थान है। इसको सन् १४६५में , माड़वाड़के राजा वीकाने वप्ताया था। यहां चार शदी जैनी हैं। कुल संख्या १९०१ में २३.४ ०३ थी।

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