Book Title: Prachin Jain Smarak Madhyaprant Madhya Bharat Rajuputana
Author(s): Shitalprasad
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 174
________________ १७४ प्राचीन जैन स्मारक। .. (३०) दताणी-गिरवरसे ६ मील उत्तरपश्चिम। यहां १ जैन मंदिर है। (३१) हणाद्री-आबूके पश्चिम पर्वतसे ११ मील | वस्तुपालके मंदिरके शिलालेखोंमें सं० १२८७में इस गांवका नाम हंडाउद्रा आया है । यहां १ जैन मंदिर है। (३२) सणापुर-हणाद्रेसे १२ मील उत्तरपूर्व, यहां जैन मंदिर १२वीं शताब्दीका है। (३३) पालड़ीगांव-सिरोहीसे १२ मील उत्तरपूर्व । जैन मंदिर है उसमें चौहान राजा केल्हणदेवके कुंवर जैतसिंहका लेख सं० १२३९का है। (३४) वागीण-पालड़ीसे २ मील । जैन मंदिरमें लेख चौहान रा० सामंतसिंह सं० १३५९ । (३५) सीवरा-सिरोहीसे १२ मील पूर्व झालोहीसे इमील उत्तर । श्री शांतिनाथका जैन मंदिर, लेख सं० १२८९ देवड़ा विजयसिंह। (३६) आबू पर्वत-आरावला ( अर्बली ) सिरोहीसे दक्षिण पूर्व । ऊंचाई ५६५० फुट व समान भूमिसे ४००० फुट ऊंचा, ऊपर लम्बा १२ मील, चौड़ा. करीब ३ मील | आबृरोड़ प्टेशनसे १८ मील सड़क ऊपर है । यहां दिलवाड़ामें श्री मैन प्रसिद्ध मंदिर श्री आदिनाथ और नेमनाथके हैं । इनमें पुराना व सुन्दर विमलशाह पोड़वाड़का बनवाया विमलंवसही नामका श्री आदिनाथ मंदिर है जो वि० सं० २०८८में समाप्त हुआ था। उस समय आबूपर परमार वंशका राना धंधुक राज्य करता था । यह

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