Book Title: Prachin Jain Smarak Madhyaprant Madhya Bharat Rajuputana
Author(s): Shitalprasad
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

View full book text
Previous | Next

Page 136
________________ [ १२५. राजपूताना । तीसरा भाग । प्राचीन जैन स्मारक - राजपूताना - राजपूतानाकी चौहद्दी इस प्रकार है: पश्चिममें सिंध | उत्तर पश्चिममें पंजाब, वहावलपुर । उत्तर और उत्तर पूर्व में पंजाब । पूर्वमें संयुक्त प्रदेश, ग्वालियर । दक्षिणमें मध्य भारत और बम्बई । इसमें १३०४६२ वर्गमील स्थान हैं इसीमें अजमेर, मड़वाड़ा भी शामिल हैं जो २७११ वर्गमील है । इसकी व्यवस्था यह है कि:- राज्य जैसलमेर, जोधपुर और बीकानेर पश्चिम और उत्तर में हैं । शेखाघाटी (जैपुरका भाग) और 1 अलवर उत्तर पूर्वमें हैं । जैपुर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, बूंदी, कोटा, झालावाड़ पूर्व और दक्षिण पूर्वमें हैं। परतापगढ़, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, उदयपुर दक्षिणमें और सिरोही दक्षिण पूर्व में हैं । मध्यमें अजमेर, मडवाड़ा प्रांत, किशनगढ़, शाहपुर, लावा और टोंकका एक भाग है । यहां आवू पहाड़ ५६५० फुट ऊंचा है । इतिहास - यहां भी बौद्धोंका राज्य था । महाराज अशोकके शिलालेखके दो पाषण वैराटमें हैं जो राज्य जैपुरमें है । सन् ई० से दूसरी शताब्दी पहले वैकटीरियाके ग्रीक या यूनान लोग उत्तर और उत्तर पश्चिमसे आए । उनके विजय प्राप्त देशोंमें यहां प्राचीन शहर नगरी ( इनको माध्यमिक भी कहा है ) था नो

Loading...

Page Navigation
1 ... 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185