Book Title: Paramparagat Prakrit Vyakarana ki Samiksha
Author(s): K R Chandra
Publisher: Prakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad

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Page 100
________________ परम्परागत प्राकृत व्याकरण की समीक्षा और अर्धमागधी हेमचन्द्राचार्य के अनुसार –सु 83.15 और सु 8.1.27 दोनों ही प्रत्यय मिलते हैं । उदाहरण – वच्छेसु और वच्छेसु व्याकरणकारों ने जो विभक्ति प्रत्यय दिये हैं उनके परिप्रेक्ष्य में प्राचीन रूपक साहित्य, प्राकृत शिलालेखों तथा प्राचीन प्राकृत साहित्य में ये प्रत्यय किस प्रकार मिलते हैं उनका विवरण निम्न प्रकार से दिया जा सकता है । प्राचीन रूपक साहित्य ११: कुछ प्राचीन रूपकों * में ये विभक्ति - प्रत्यय जिस प्रकार मिलते हैं उनमें से निम्न तालिका के अनुसार - आणि, हि, -णं, -सु प्राचीन प्रत्यय हैं जबकि - आइ, हिं, ण, सु उनके उत्तरकालीन रूप हैं और * See my article: 'Study of Pakrrits in Classical Dramas Their Stages in Some Early Dramas', Vidya, C-Languages, Vol. XXIII, No. 2., Guj Univ.... Aug 1980 The table is reproduced. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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