Book Title: Paramparagat Prakrit Vyakarana ki Samiksha
Author(s): K R Chandra
Publisher: Prakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
View full book text
________________
परम्परागत प्राकृत व्याकरण की समीक्षा और अर्थ मागधी
छळाययण
तळाग
ताळण
ताळयंति
निगळ
निप्पीळ
पवीळए
पीळण
पीळा
पीठिय
पीळे इ
सोळस
(iv) हेमचन्द्राचार्य के
छलायतण
तलाग
तालणा
तालयंति
निगड
निप्पील
पवीलए
पीलण
पीला
पीलिय
Jain Education International
(पिशल के अनुसार, परिच्छेद 240 )
कीळइ
गरुळ
गुळ
तळाय
दाळिम (दाडिम)
नळ (नड)
नाळी (नाडी)
पीळिय
वळया मुह
षडायतन
तडाग
ताडय्
"
निगड
निष्पीड
प्रपीडकः
पीडन
पीडा
पीडित
पीडयति
षोडस
पीलेइ
सोलस
प्राकृत व्याकरण के शब्द
(पी. एल. वैद्य के संस्करण के
अनुसार, 1928 A.D. )
कीलह
गरुळ
गुड, गुल
तलाय
दालिम (दाडिम)
णल (गड)
णाली (गाडी)
पीडिअ
वलयामुह
For Private & Personal Use Only
तळाक
(ताळ)
ار
निगळ
निप्पीळ
(पीळ)
पीळण
पीळा
पीळित
पीळेति
सोळस
(सूत्र नं.)
8.1.202
"
"
"
१२१
""
"
"
"
91
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162