Book Title: Panchvastuka Granth
Author(s): Haribhadrasuri, 
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 593
________________ MARCLEAGUSICROSHAN सइ सवत्थाभावे जिणाण भावावयाएँ जीवाणं । तेसिं णित्थरणगुणं णिअमेणिह ता तदायतणं ॥१२४८॥ तबिंबस्स पइट्ठा साहुनिवासो अ देसणाईआ। एकिकं भावावयणित्थरणगुणं तु भवाणं ॥१२४९॥ पीडागरीवि एवं इत्थं पुढवाइ हिंस जुत्ता उ । अण्णेसिं गुणसाहणजोगाओ दीसह इहेव ॥ १२५०॥ आरंभवओ य इमा आरंभंतरणिवत्तिआ पायं । एवंपि हु अणिआणा इट्टा एसावि मोक्खफला ॥१२५१॥3॥ ता एईए अहम्मो णो इह जुत्तंपि विजणायमिणं । हंदि गुणंतरभावा इहरा विजस्सवि अधम्मो ॥१२५२॥ ण य वेअगया एवं सम्मं आवयगुणणिआ एसा । ण य दिगुणा तज्जयतयंतरणिवित्तिआ नेव ॥१२५३॥ ण अफलु देसपवित्तिउ इ मोक्खसाहिगावित्ति । मोक्खफलं च सुवयणं सेसं अस्थाइवयणसमं ॥१२५४॥ अग्गी मा एआओ एणाओ मुंचउत्ति असुईवि । तप्पावफला अंधे तमंमि इच्चाइ अ सईवि ॥ १२५५ ॥ अस्थि जओण य एसा अण्णत्था तीरई इहं भणि अविणिच्छया ण एवं इह सुबह पाववयणं तु ॥१२५६॥ परिणामे असुहं णो तेसिं इच्छिज्जइ ण य सुहंपि । मंदापत्थकयसमं ता तमुवण्णासमित्तं तु ॥ १२५७ ॥ इअ दिखेहविरुद्धं जं वयणं एरिसा पवित्तस्स । मिच्छाइभावतुल्लो सुहभावो हंदि विष्णेओ ॥ १२५८ ॥ एगिदिआइभेओऽवित्थं णणु पावभेअहेउत्ति । इहो तहावि समए तह सुद्ददिआइभेएणं ॥ १२९९ ॥ सुद्दाण सहस्सेणवि ण बंभवज्झेह घाइएणंति । जह तह अप्पबहुत्तं एत्थवि गुणदोसचिंताए ॥ १२६० ॥ अप्पा य होति एसा एत्थं जयणाऍ वहमाणस्स। जयणा य धम्मसारो विन्नेआ धम्म (सब) कजेसु ॥१२६१॥ अ सुइयत्त । मोक्खफल गणा तजुयत विजस्सवि Jain Educat i onal For Private & Personel Use Only jalnelibrary.org

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