Book Title: Panch Sanyat Prakaranam
Author(s): Kunvarji Anandji
Publisher: Kunvarji Anandji
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श्रीभगवतीसूत्रांतर्गतपंचविंशतितमशतकस्य
सप्तमोद्देशकः
षष्ठोद्देशके संयतानां स्वरूपमुक्तं, सप्तमेऽपि तदेवोच्यते इत्येवं सम्बन्धस्यास्येदमादिसूत्रम्-'कइणंभंते !' इत्यादि, इहापि प्रज्ञापनादीनि द्वाराणि वाच्यानि, तत्र प्रज्ञापनाद्वारमधिकृत्योक्तम्__ कति णं भंते ! संजया पन्नत्ता?, गोयमा!पंच संजया पं०, तं०-सामाइयसंजए, छेदोवटावणिय संजए परिहारविसुद्धियसंजए सुहुमसंपरायसंजए अहक्खायसंजए,सामाइयसंजएणं भंते! कतिविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुविहे पन्नत्ते, तं जहा-इत्तरिए य आवकहिए य, छेओवट्ठावणियसंजए णं पुच्छा, गोयमा ! दुविहे प०, तं०-सातियारे य *=d=d=====c[ ४५ ]==d=c=d=de

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