Book Title: Panch Sanyat Prakaranam
Author(s): Kunvarji Anandji
Publisher: Kunvarji Anandji
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10-0= =0-0-0-0-0-0=0श्रीभगवतीसूत्रांतर्गत निरतियारे य, परिहारविसुद्धियसंजए पुच्छा, गोयमा दुविहे पं०,तं०-णिव्विसमाणए यनिव्विढकाइए य, सुहुमसंपरागपुच्छा, गोयमा! दुविहे पं०, तं०-संकिलिस्समाणए य विसुद्धमाणए य, अहक्खायसंजए पुच्छा, गोयमा ! दुविहे पं०, तं०-छउमत्थे य केवली य ॥ सामाइयंमि उ कए चाउन्जामं अणुत्तरं धम्मं । तिविहेणं फासयंतो सामाइयसंजओ स खलु ॥१॥ छेत्तूण उ परियागं पोराणं जो ठवेइ अप्पाणं । धम्ममि पंचजामे छेदोवट्ठावणो स खलु ॥ २॥ परिहरइ जो विसुद्धं तु पंचयामं अणुत्तरं धम्मं । तिविहेणं फासयंतो परिहारियसंजओ स खलु ॥ ३ ॥ लोभाणु वेययंतो जो खलु उवसामओ व खवओ वा । सो सुहुमसंपराओ अहखाया ऊणओ किंचि ॥४॥ उवसंते खीणमिव जो खलु कम्ममि मोहणिजंमि। छउमस्थो व जिणो वा अहखाओ संजओ स खल॥५॥ (सूत्रं ७८६)
'कति णं भंते ' इत्यादि, 'सामाइयसंजए'त्ति सामायिकं नाम चारित्रविशेषस्तत्प्रधानस्तेन वा संयतः सामायिकसंयतः, एवमन्येऽपि, 'इत्तरिए यत्ति इत्वर

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