Book Title: Panch Sanyat Prakaranam
Author(s): Kunvarji Anandji
Publisher: Kunvarji Anandji

View full book text
Previous | Next

Page 66
________________ पंचसंयतविवरण 0=0=0=0=0=0= यस्स परट्ठाण पुच्छा, गोयमा ! नो हीणे नो तुल्ले अन्भहिए अनंतगुणमन्भहिए, एवं छेओवट्ठावणियपरिहारविसुद्धिएसुवि समं सट्टाणे सिय हीणे नो तुले सिय अन्भहिए जइ हीणे अणतगुणहीणे अह अन्भहिए अनंतगुणमन्भहिए, सुहुमसंपरायसंजयस्स अहक्खायसंजयस्स परट्ठाणे पुच्छा, गोयमा ! हीणे नो तुल्ले नो अब्भहिए अनंतगुणहीणे, अहक्खाए हेट्ठिल्लाणं चउण्हवि नो हीणे नो तुल्ले अभहिए अनंतगुणमन्भहिए, सट्टाणे नो हीणे तुल्ले नो अब्भहिए । एएसि णं भंते ! सामाइयछेदोवट्ठावणिय परिहारविसुद्धियसुहुमसंपरायअहक्खायसंजयाणं जहन्नुक्कोसगाणं चरित्तपज्जवाणं कयरे २ जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सामाइयसंजयस्स छेओवडावणिय संजयस्स य एएसि णं जहन्नगा चरित - पज्जवा दोन्हवि तुल्ला, सव्वत्थोवा परिहारविसुद्वियसंजयस्स जहन्नगा चरित्तपज्जवा अनंतगुणा तस्स चेव उक्कोसगा चरित्तपज्जवा अनंतगुणा, सामाइयसंजयस्स छेओवट्ठावणियसंजयस्स य एएसि णं उक्कोसगा चरित्तपज्जवा दोन्हवि तुल्ला अनंतगुणा, सुहुमसंपरायसंजयस्स जहन्नगा == =0+ 1=0=0=0[ ५७ ]0=0=0=0=0=0

Loading...

Page Navigation
1 ... 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86