Book Title: Panch Pratikraman Sutra
Author(s): Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha Surat, 
Publisher: Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha SUrat Nava Upasarana Aradhak

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Page 14
________________ है जो, कोइ, नामके, तीर्थकुं । (तथा)स्वर्गमें,पातालमें, मनुष्य, लोकमें। जो, जिनविंवहैं। उन, सबकं, वांदताहूं । । जंकिंचिक जं किंचि.नाम.तिथ्थं। सग्गे पायाले माणुसेलोए॥जाइंजिणबिंबाइं।ताई.सव्वाइं.वंदामि॥२॥ नमकारहो, रागादिशत्रु इणनेवाले, भगवंतोंकुं। १ आदि करनेवाले,तीर्थके २ करनेवाले,स्वयं(आपसे)योधपायेहुए। पुरुषोंमें उत्तम पुरुषोंमें, नमुथ्थुण की 'नमुथ्थुणं, अरिहंताणं,भगवंताणं ।। आइगराणं,तिथ्थयराणं, सयं संबुदाणा पुरिसुत्तमाणं,पुरिस, जसिंहकेसमान,पुरुषोंमें, श्रेष्ठ,कमलकेसमान, पुरुषोंमें, श्रेष्ठ, गंधहस्तिकेसमान। लोगोंमें उत्तम, लोगोंके नाथ, लोगोंका हितकरनेवाले,लोगोंको के सीहाणं,पुरिस,वर,पुंडरीयाणं,पुरिस,वर,गंधहथ्थीण।३।लोगुत्तमाणं,लोग नाहाणं,लोगहियाणं, लोग दीपकसमान,लोगोंमें,ज्ञानउद्योत, करनेवाले। अभय देनेवाले, ३ चक्षुदेनेवाले, मोक्षमार्गके देनेवाले,शरण देनेवाले, ४ बोधि देनेवाले। म पईवाणं,लोग,पज्जोअ.गराणं।४।अभयदयाणं,चख्खुदयाणं, मग्गदयाणं,सरणदयाणं, बोहिदयाण।५। ॐ धर्मके दाता, धर्मके उपदेशक, धर्मके नायक(स्वामी), धर्मके सारथि, धर्मके, श्रेष्ठ,चारगति अंतकारी,चक्रवर्ती। अप्रतिहत, उत्तम, धम्मदयाणं,धम्मदेसयाणं,धम्मनायगाणं,धम्मसारहीणं,धम्म,वर,चाउरंत,चक्कवट्टीणादाअप्पडिहय वर ज्ञान, दर्शनके,धारण करनेवाले,वीतगये,छद्म(४घातीकर्म)वाले। खुद ५ जोतनेवाले,दूसरोंको जीतानेवाले,खुद तरेहुए,दूसरोंको तारनेवाले, नाण,दंसण, धराणं, विअट्ट, छउमाणं ।७। जिणाणं, जावयाणं, तिन्नाणं, तारयाणं, १ अपने अपने शासनकी। २ चतुर्विधसघंकी स्थापना। ३ श्रुत ज्ञानरूप । ४ समकित । ५ रागद्वेषकुं। ६ संसार समुद्रसे । फESSES55555555555555 555555555555555555555 For Personal Private Use Only

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