Book Title: Panch Pratikraman Sutra
Author(s): Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha Surat,
Publisher: Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha SUrat Nava Upasarana Aradhak
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तीर्थकर, (तथा) चारों, दिशिमें विदिशिमें, जो,कोइभी, अतोत, अनागत, संप्रति कालके, वांदताहूं, जिनेश्वर हो, सबकुं, भी ।। तिथ्थयरा,"चिहुँ,दिसि,विदिसि,जं,के वि, ऽती, आणागय, संपइय, "वंदुं, "जिण, सव्वे, वि ॥२॥ कर्मभूमिमें, कर्मभूमिमें, प्रथम, संघयणवाले, उत्कृष्ट(संख्या), सित्तर,एकसो(१७०), जिनवरोंकी, विचरतेहुए, मिलतीहै,
कम्मभूमिहिं,कम्मभूमिहि,पढम,संघयणि, उक्कोसय, सत्तरि, "सय, जिणवराण, विहरंत, लाभइ, 5 नवक्रोड (और), केवलीयोंकी(संख्या)। करोड, हजार, नव, साधु, मिलतेहैं । संपतिकालमें, जिनवर २, वोसहैं। मुनि(साधु), दो,
नवकोडिहिं. केवलीण। कोडि, 'सहस्स,"नव, साहु,गम्मइ। संपइ,जिणवर, वीस। "मुणि, बिहुँ, # करोडहैं, उत्तमज्ञानी(केवली) । श्रमण ३, करोडहै, हजार, दो, स्तवे जाते हैं, (वेसब) नित्य, प्रभातमें । २। सता', कोडिहिं,'वर नाण। समणह, कोडि,"सहस, "दुअ, 'थुणिज्जइ, निच्च, विहाणि॥२॥ सत्ताणवइ,
हजार, लाख, छप्पन, आठ, करोड। चारसो, छिंआसी, तीनलोकमें रहे, चैत्योकुं ४, वांदताहूं। ३ । वांदताहूं,नव सहस्सा, लख्खा , छप्पन्न, अठ,कोडिओ। चउसय,छायासीया,'तिल्लुक्के, चेइए, वंदे, ॥३॥ वंदे, नव, करोड(और),सौ। पच्चिस, करोड, लाख, तेपन । अठावीस, हजार। चारसो, अश्यासी, (जिन)प्रतिमाओंकुं ॥४॥ कोडी, सयं। पणवीसं,कोडि. लख्ख, तेवन्ना॥ अठ्ठावीस,सहस्सा। चउसय,अठासीया, पडिमा ॥४॥
१ वतमान । २ तीर्थकर । ३ सामान्य साधु । ४ जिनमंदिरोंकुं ।
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