Book Title: Pacchis Bol Author(s): Vijaymuni Shastri Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra View full book textPage 4
________________ प्रकाशकीय जिज्ञासु को जैन दर्शन के मूलभूत सिद्धान्तों का ज्ञान कराने के लिए सर्वप्रथम इसी लघुतम, किन्तु महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ से साक्षात्कार करायो जाता है । यही वह सूत्रात्मक ग्रन्थ है, जिसको हृदयंगम कर, दर्शन शास्त्र की गहराई में उतारा जाता है और इसी के माध्यम से आगम ग्रन्थों के विशाल सागर को पार किया जाता है । ___ जैन जगत में इस लघुतम ग्रन्थ का महत्त्व सर्वविदित है । एक दृष्टि से यह जैन दर्शन की कुञ्जी है । इस महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ पर सुन्दर, सुबोध विवेचन का अभाव अब तक खटक रहा था । कोमल-मति बालक-बालिकाओं को इसका रहस्य समझने में बड़ी कठिनाई तथा असुविधा का सामना करना पड़ रहा था । ___कविरत्न उपाध्याय श्री जी के सुयोग्य शिष्य, जैन तत्वज्ञान के गम्भीर अध्येता, व्याख्याता एवं सिद्ध-हस्त लेखक पण्डित श्री विजय मुनिजी ने इस ग्रन्थ पर विस्तृत, सरल और सुबोध व्याख्या लिख कर जिज्ञासुओं का महान् उपकार किया है, साथ ही एक चिरकाल से खटकती रहने वाली कमी की पूर्ति भी । __श्री विजय मुनि जी की व्याख्या से युक्त पच्चीस बोल का यह प्रकाशन बालक, वृद्ध, महिला आदि सब के लिए एक समान उपयोगी सिद्ध होगा । ऐसा विश्वास है । इस सरल व्याख्या के माध्यम से जिज्ञासु छात्र-छात्राएँ अपनी ज्ञान वृद्धि के साथ-साथ जैन तत्वज्ञान की परीक्षाओं में भी अत्यधिक सफलता प्राप्त कर सकते हैं. यह पिछले वर्षों के हमारे अनुभव से स्पष्ट होता है । प्रस्तुत ग्रन्थ की सार्वजनीन लोकप्रियता ही इसके पञ्चम संस्करण का प्रमाण है । इसके द्वारा जैन तत्वज्ञान के प्रचार-प्रसार में कुछ भी सहयोग मिला, तो हम अपना प्रयत्न सफल समझेंगे । ओमप्रकाश जैन मन्त्री, सन्मति ज्ञानपीठ लोहामण्डी, आगरा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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