Book Title: Oswal Gyati Samay Nirnay Author(s): Gyansundarmuni Publisher: Gyanprakash Mandal View full book textPage 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ओसवाल ज्ञाति समय निर्णय. (३) (२) दूसरा मत जैनाचायों और जैनग्रन्थकारोंका है उसमें ओसवाल ज्ञाति की उत्पत्तिका समय विक्रम पूर्व ४०० वर्षका लिखा मिलता है अतः कतिपय उल्लेख यहां दर्ज कर देते हैं. (१) श्री उपकेशगच्छ चरित्र जो विक्रमकी चौदहवी शताब्दी में संस्कृत पद्यबद्ध लिखा हुआ है जिसमें उकेशवंस ( जिसकों हाल सवाल कहते है ) की उत्पत्ति वीरात् ७० वर्ष अर्थात् विक्रम पूर्व ४०० वर्षका लिखा है । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (२) उपकेशगच्छ प्राचीनं पट्टावलि जो विक्रम सं. १४०२ में लिखी हुई है उसमें एसे प्रमाण मिलते हैं कि x सप्तत्य (७०) वत्सराणों घरमजिनपतेर्मुक्तजातस्य वर्षे । पंचम्या शुक्लपक्षे सुहगुरु दिवसे ब्रह्मणः सन्मुहूर्ते । रत्नाचायैः सकलगुणयुक्तै, सर्वसंघानुज्ञातैः ॥ श्रीमद्वरस्य बिंबे भवशतमथने निर्मितेयं प्रतिष्ठाः ॥ १॥ x X X उपकेशे च कोरंटे, तुल्यं श्रीवीरबिम्बयोः । प्रतिष्ठा निर्मित्ता शक्त्या, श्रीरत्नप्रभसूरिभिः ॥ १ ॥ इस पट्टावलिका अनुकरण रुपमें औरभी छोटी छोटी पट्टावलिये लिखी हुई मिलती है । इस प्रमाणसे सिद्ध होता है कि वीरात् ७० वर्षे आचार्य रत्नप्रभसूरिने उपकेशपुरमे महावीर मन्दिरकी प्रतिष्ठा कराई थी For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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