Book Title: Oswal Gyati Samay Nirnay
Author(s): Gyansundarmuni
Publisher: Gyanprakash Mandal

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Page 32
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (३०) जैन जाति महोदय प्र० चोथा. विशेष प्रमाण मिल सकेगें साथ में यह भी ध्यान में रखे कि जो जो प्रमाण मिलते जावे वह वह सर्व साधारणके सामने रखते जावे तो उम्मेद है कि इश पवित्र ओर विशाल ज्ञातिका इतिहास लिखनेमें बहुत सुविधा हो जावे गा हम यह भी आग्रह नहीं करते है कि हमने निर्णय किया वह ही सत्य है अगर कोइ इतिहासज्ञ हमारे प्रमाणोंसे अतिरक्त अन्य प्रमाणिक प्रमाण बतलावेगे तो हम माननेको भी तय्यार है. आज छोटी वडी सब जातियों अपनि ज्ञाति की प्राचीनता के लिये तन मन और धनसे प्रयत्न कर रही है तब हमे खेदके साथ लिखना पडता है कि कितनेक व्यक्ति जैन नाम धराते हुवे केवल गच्छ कदाग्रह में पडके जो २४०० वर्ष जितनी प्राचीन जैन ज्ञातियों है जिसकों अर्वाचीन बतलानेका मिथ्या प्रयत्न कर रहे है उन महाशयोंको भी इस छोटासे प्रवन्धको आद्यौपान्त पढके अपने असत्य विचारोको फोरन् बदल देना चाहिये. अन्तमें हम यह निवेदन करना चाहाते है कि ओसवाल ज्ञाति का समय निर्णय करना यह एक महान गंभिर विषय है इस विषय में यह मेरा पहिला पहल ही प्रयत्न है इस्में मति दोषादि अनेक त्रुटियों रहजाना यह स्वभाविक वात है जहाँतक बना वहांतक मेने सावधानीसे यह प्रबन्ध लिखा है फिर भी इतिहास वेत्ता महाशयों से निवेदन है कि अगर हमारे लेखमें किसी प्रकारसे त्रुटि रही हो तो आप कृपया सूचना करे कि द्वितीयावृत्ति For Private and Personal Use Only

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