Book Title: Oswal Gyati Samay Nirnay
Author(s): Gyansundarmuni
Publisher: Gyanprakash Mandal

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Page 31
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ओसवाल ज्ञाति समय निर्णय. (२९) वह यहांपर बतला दीये है अगर फिर भी खोज किजाय तो अधिक संख्यामें भी प्रमाण मिलजाना कोइ बडी बात नहीं है कारण कि विशाल ज्ञाति के प्रमाण भी विशाल संख्या में हुवे करते है पर त्रुटि है हमारे औसवाल भाइयों की कि जिन्होंने अपनी ज्ञाति के इतिहास के लिये बिल्कुल सुस्त हो बेठे है- इस प्रमाणो से यह सिद्ध होता है कि जिस ज्ञातिको आज पोसवाल कहते है उस ज्ञातिका मूल नाम उपकेश ज्ञाति है और उसका मूल स्थान उपकेशपुर है और इस ज्ञाति के प्रतिबोधक प्राचार्य रत्नप्रभसूरि है जिनके गच्छका नाम 'उपकेशपुर व उपकेश ज्ञाति के नामपर' उपकेश गच्छ हुवा है और आचार्य श्री पार्श्वनाथ के छठे पाटपर वीरात् ७० वर्षे इस ज्ञाति की स्थापना की थीं. हम हमारे ओसवाल भाइयोंको सावचेत करनेको सूचना करते है कि जैसे अन्य ज्ञातियों अपनि अपनि प्राचीनताके प्रमाणों कों शोध निकालने में दत्तचित हो तन मन और धन अर्पण कर रही है तो क्या आप अपनि ज्ञाति कि प्राचीनता व गौरवके लिये सुते ही रहोगे ? नहीं नहीं अव जमाना आपको जवरन् उठावेंगा आप अगर सोध खोज करोगे तो आप की ज्ञाती के विषय में प्राचीन प्रमाणों की कमी नहीं है कमी है आप के पुरुषार्थ की निवेदन-जैसे मेरा स्वल्पकालिन अभ्यासके दरम्यान इस ज्ञाति के विषय जितना प्रमाण मिले है वह विद्वानों कि सेवा में रख चुका हुँ इसीमाफीक अन्य महाशय भी प्रयत्न करेंगे तो For Private and Personal Use Only

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