Book Title: Oswal Gyati Samay Nirnay
Author(s): Gyansundarmuni
Publisher: Gyanprakash Mandal

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Page 25
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भोसवाल ज्ञाति समय निर्णय. (२३) - (५) ओशियों मन्दिर की प्रशस्ति शिलालेख में उपकेशपुर के पडिहारराजाओं में वत्सराज की बहुत तारीफ लिखि है जिसका समय इ. स. ७८३-८४ का लिखा है इससे यह सिद्ध होता है कि इस समय उपकेशपुर वडी भारी उन्नति पर था जिस से आबुके उपलदेव पँवारने ओशियों वसाई का भ्रम दूर हो जाता है. (६) पंडित हीरालाल हंसराजने अपने इतिहासिक ग्रन्थ "जैन गौत्र संग्रह" नामक पुस्तक में लिखा है कि भिन्नमाल का राजा भांणने उपकेशपुर के रत्नाशाहा की पुत्री के साथ लग्न किया था इससे यह सिद्ध हुवा कि भांण राजा का समय वि. स. ७९५ का है उस समय उपकेश वंस खुब विस्तार पा चुका था ओर अच्छी उन्नति भी करली थी (७) पं. हीरालाल हंसराज अपने इतिहासिक ग्रन्थ जैन गौत्र संग्रह में भिन्नमाल के राजा भांण के संघ समय वासक्षेप की तकरार होनेसे वि. स. ७९५ में बहुत गच्छो के प्राचार्य एकत्र हो मर्यादाबादी की भविष्यमें जिसके प्रतिबोधित श्रावक हो वह ही वासक्षेपदेवे इस्मे उपकेश गच्छाचार्य सिद्धसूरि भी सामिल थे-इससे यह सिद्ध होता है कि इस समय पहिले उपकेशगच्छ के आचार्य अपनी अच्छी उन्नति करली थी तब उनसे पूर्व बनी हुई उपकेश ज्ञाति विशाल हो उसमें शंका ही क्या है. (८) ओशियों का ध्वंस मन्दिर में वि. स. ६०२ का त्रुटा हुवा शिलालेख मिला उस्मे अदित्यनाग गौत्रवालो ने वह For Private and Personal Use Only

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