Book Title: Nyayakumudchandra Part 1
Author(s): Mahendramuni
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti

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Page 7
________________ न्यायकुमुदचन्द्र-प्रथमभाग की विषयसूली पृष्ठ 17-16 विषय निवेदन vii-viii प्राक्कथन ix-xiii सम्पादकीयं किञ्चित . xiv-xx (सम्पादनगाथा, संस्करणपरिचय, प्रतिपरि चय, आभारप्रदर्शन आदि) प्रस्तावना 1-126 - ग्रन्थ परिचय . लघीयस्त्रय 'विवृति न्यायकुमुदचन्द्र प्रन्थों पर समालोचनात्मक विचार 4-12 लघीयस्त्रय सविवृति 4-7 प्रकरणग्रन्थ रचनाशैली लघीयस्त्रय और विवृति में आगत विशेष नाम आदि . . न्यायकुमुदचन्द्र 7-12 नाम रचना शैली न्यायकुमुदचन्द्र की इतर दर्शनों से तुलना 6-11 न्यायदर्शन प्रभाचन्द्र और मञ्जरीकार जयन्त वैशेषिकदर्शन सांख्ययोग वेदान्तदर्शन मीमांसादर्शन बौद्धदर्शन , वैयाकरणदर्शन जैनाचार्य विषय परिचय 12-22 - प्रथम परिच्छेद 12-14 द्वितीय परिच्छेद 14 विषय तृतीय परिच्छेद 14-16 चतुर्थ परिच्छेद 16-17 पञ्चम परिच्छेद षष्ठ परिच्छेद 19-21 सप्तम परिच्छेद 21-22 लघीयस्त्रय के दार्शनिक मन्तव्य 22-24 श्रीमद्भट्टाकलङ्क 24-114 प्राक्कथन 24-25 अकलंक नाम के अन्य विद्वान् 25-26 जन्म भूमि और पितृकुल 26-27 बाल्यकाल और शिक्षा 27-30 विद्यार्थीजीवन और संकट 30-32 निष्कलंक ऐतिहासिक व्यक्ति नहीं 32-34 हंस परमहंस की कथा 34-35 शास्त्रार्थी अकलंक 35-41 ग्रन्थकार अकलंक 41-58 तत्त्वार्थराजवार्तिक 43-44 अष्टशती 45-46 लघीयस्त्रय स्वोपज्ञ विवृति न्यायविनिश्चय 47-48 न्यायविनिश्चयवृत्ति 48-46 सिद्धिविनिश्चय ( सवृत्ति) 50-52 प्रमाणसंग्रह 52-53 वृहत्त्रय 53-54 न्यायचूलिका 54 स्वरूपसम्बोधन 54-55 अकलंकस्तोत्र 55-57 अकलंक प्रतिष्ठापाठ 57 अकलंक प्रायश्चित्त अकलंक का व्यक्तित्व 58-60 जैनन्यायके प्रस्थापक अकलंक 60-69 अकलंकके पूर्व जैन न्यायकी रूपरेखा 61-64 अकलंक और जैनाचार्य 70-84 .. वश 57

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