Book Title: Neminahacariya Part 1
Author(s): Haribhadrasuri, H C Bhayani, Madhusudan Modi
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 390
________________ १६५७ ] सत्तमभवि संखवुत्तंतु [१६५४] सेटि-ठक्कुर-मंति-सामंतउवरोह-सत्थाह-वणि- वग्ग-संधिविग्गहिय-तलवर । तुब्भे वि हविज्ज नरवइहि इमह आएस-तप्पर ॥ नंदइ निवडण जणु भुवणि जणिण वि निवु नंदेइ । जम्हा कुच्चिण मुहु सहइ मुहिण वि कुच्चु सहेइ ।। [१६५५] इय नराहिवु दुहं वि पक्खाई अणुसट्टि वियरिवि बहुय सीस-गहिय-आएसु तक्खणि । जिण-सासणि गुरु-महिम करिवि गंतु निय-नयर-उववणि ॥ सिरि-गुणहर-गणहर-पुरउ जिण-वर-धम्मु सुणेत्तु । भव-परिभमणुव्विग्ग-मणु पडिवज्जइ चारित्तु ॥ [१६५६] संख-निवइ वि असम-माहप्पु उवसाहिय-सत्तु-कुलु सचिव-ठाणि मइपहु ठवेविणु । पट्टस्सुवबंधु पुणु जसमईए देविहि करेविणु । सचिव-क्खंध-निविट्ठ-भरु विसय-सुहई सेवंतु । चिट्ठा दोगुंदुग-सुरु व गउ वि कालु अ-मुणंतु ॥ [१६५७] तह विसेसिण कुणइ जिण-पूय आराहइ गुरु-चलण सुणइ पुन्व-पुरिसाहं चरियई । आसेवइ वारस वि वयई पुच-पुरिसिहि सु-चरियई ॥ सम्माणइ साहम्मि-यण पयडइ रह-जत्ताउ । न रमइ वेहम्मिय-कहहं चयइ असुह-वत्ताउ । १६५४. १. क. ठक्कुरु. १६५५. ६. क. गणहर missing. १६५६. ८. क. सुर. १६५७. ७. क. जत्ताओ; ७. क. वत्ताओ. Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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